10 साल, 5000 मामलों में बस 40 दोषसिद्ध, अब ED को SC ने दी गजब की सलाह
Supreme Court To ED: प्रवर्तन निदेशालय के पास लगातार बढ़ते केस और उनमें दोषसिद्धि के अनुपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आप अपने अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करें. कोर्ट में ये बात भी उठी की 10 वर्षों में दर्ज किए गए 5,000 मामलों में से महज 40 में दोषसिद्धि हुई है.
Supreme Court To ED: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को तीखा सुना दिया. इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आपको अपने अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच एजेंसी की दोषसिद्धि दर कम होने का हवाला दिया. सुनवाई के दौरान के कोर्ट में इस बात का भी जिक्र हुआ कि ED ने 10 साल में इतने केस दर्ज किए लेकिन उनमें दोष सिद्धि कम ही मामलों में हुई है. 10 साल में 5000 मामले दर्ज हुए लेकिन ED केवल 40 में दोषसिद्ध कर पाई है.
शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील कुमार अग्रवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई है. उनको ED ने कोयला परिवहन पर अवैध शुल्क से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट ने ED को ये सलाह तब दी जब वो सुनील कुमार अग्रवाल की जमानत का विरोध कर रही थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुयान की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने ईडी से कहा कि आपको अभियोजन पक्ष और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. उन सभी मामलों में जहां आप संतुष्ट हैं कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, आपको उन मामलों को अदालत में साबित करने की आवश्यकता है. गृह मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए एक बयान का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि 10 वर्षों में दर्ज किए गए 5,000 मामलों में से 40 में दोषसिद्धि हुई है. अब आप ही कल्पना कीजिए.
किस मामले में सुनवाई हो रही थी?
जून 2022 में छापेमारी के बाद कथित घोटाले से संबंध में मामला दर्ज किया गया था. इसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक कार्टेल द्वारा छत्तीसगढ़ कोयला परिवहन के लिए अवैध वसूली का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में व्यवसायी सुनील कुमार अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया था. 8 अप्रैल को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाव वो सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे थे. बुधवार को अदालत ने व्यवसायी को अंतरिम जमानत दे दी.