Electoral Bond Judgement: चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बांड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य है. इस फैसले पर जजों की एक राय है. कोर्ट ने आगे कहा कि चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द करने का फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मतदाताओं को वोट डालने के लिए आवश्यक जानकारी पाने का अधिकार है और राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं - एक उनका लिखा और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 'चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित कर इसको रद्द करना होगा.'
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 'बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 'एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा.'
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, चुनावी बॉन्ड से जुड़ी राजनीतिक फंडिंग से पारदर्शिता प्रभावित होती है इसके साथ ही ये मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि शेल कंपनियों के माध्यम से योजना में योगदान की अनुमति दी गई है.
जनवरी 2018 में लॉन्च किए गए, चुनावी बांड वित्तीय उपकरण हैं जिन्हें व्यक्ति या कॉर्पोरेट संस्थाएं बैंक से खरीद सकते हैं और एक राजनीतिक दल को पेश कर सकते हैं, जो बाद में उन्हें धन के लिए भुना सकता है. First Updated : Thursday, 15 February 2024