बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, क्या यह संविधान के खिलाफ है

सुप्रीम कोर्ट कल बुलडोजर न्याय पर अपना फैसला सुनाने वाला है. हाल ही में अदालत ने कहा था कि किसी की संपत्ति को बिना कानून की प्रक्रिया के तोड़ना संविधान के खिलाफ है. अब सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट देशभर के लिए इसके खिलाफ दिशा-निर्देश जारी करेगा अदालत ने पहले ही कई मामलों में कड़ी टिप्पणियां की हैं, लेकिन अब देखना ये है कि आगे क्या होता है. जानें, कोर्ट के फैसले से क्या बदल सकता है और क्यों यह मामला इतना अहम है! पढ़ें पूरी खबर और जानें सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम.

calender

Supreme Court Big Decision: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि अगर किसी व्यक्ति के घर को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के तोड़ा जाता है, तो यह 'संविधान की भावना के खिलाफ' है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट 'बुलडोजर न्याय' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाला है. इस मामले में अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि अवैध तरीके से किसी भी संरचना का विध्वंस न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि इसके लिए देश भर में एक ठोस और सख्त दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत भी है.

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

बीते महीने 6 नवम्बर को कोर्ट ने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि 'बुलडोजर न्याय' किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि 'अगर कानून की प्रक्रिया के बिना किसी व्यक्ति की संपत्ति तोड़ी जाती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन होगा, जिसमें किसी को भी बिना कानूनी आदेश के संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता.'

कोर्ट ने यह भी कहा कि 'राज्य अगर किसी अवैध अतिक्रमण को हटाना चाहता है तो उसे पहले उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा.' कोर्ट के अनुसार, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के की गई तोड़फोड़ से न केवल नागरिकों के संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन होता है, बल्कि यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ भी है.

उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा की गई अवैध विध्वंस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की थी, खासकर जब किसी व्यक्ति को अपने घर को खाली करने का उचित समय नहीं दिया गया और उसके घरेलू सामानों को नुकसान पहुंचा. कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वे पीड़ित व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दें. अदालत ने यह भी कहा था कि यह 'अत्याचारी' कार्रवाई थी और इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

क्या हो सकती है कल का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति की संपत्ति का विध्वंस बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नहीं किया जा सकता. अब बुधवार को होने वाले फैसले में अदालत यह तय करेगी कि क्या पूरे देश के लिए इस संबंध में एक ठोस दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं ताकि किसी भी राज्य द्वारा 'बुलडोजर न्याय' के तहत की गई तोड़फोड़ को रोका जा सके.

क्या होगा बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

यह मामला न केवल राज्य सरकारों के दुरुपयोग पर सवाल उठाता है, बल्कि यह संविधान के तहत नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम हो सकता है. अदालत ने यह भी सुझाव दिया था कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध सिद्ध भी हो, तो भी उसकी संपत्ति को विध्वंस का शिकार नहीं बनाया जा सकता. अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस संवेदनशील मुद्दे पर देशभर में एक मजबूत और सर्वमान्य दिशा-निर्देश स्थापित करता है या नहीं.

यह मामला सिर्फ एक कानूनी मसला नहीं है, बल्कि यह नागरिक अधिकारों और संविधान की रक्षा से जुड़ा एक बड़ा सवाल है. देश भर में बढ़ती हुई इस तरह की घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल कानून के लिए, बल्कि समाज में नागरिकों के अधिकारों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. First Updated : Tuesday, 12 November 2024