सुप्रीम कोर्ट की फटकार...नेता लोग विरोध जताते समय व्यवहार की मर्यादा भूल गये हैं
नेताओं द्वारा विरोधियों से किये गये व्यवहार पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि नेता यह भूल जाते हैं कि आलोचना करते समय किस प्रकार का व्यवहार किया जाये.
सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं द्वारा विरोध जताने या आलोचना किये जाने पर किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिये इस पर टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने बीती सोमवार को कहा कि ऐसा लगता है कि विधायक यह भूल गये हैं कि विरोध जताते समय या विरोधियों की आलोचना करते समय किस प्रकार का व्यवहार किया जाये. यह टिप्पणी जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने राजद नेता सुनील कुमार सिंह की रिट याचिका पर की.
इस याचिका में बिहार विधान परिषद के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने के कारण उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया था.सुप्रीम कोर्ट ने सुनील सिंह की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हुए कहा कि सम्मानित सदनों के सदस्यों को दूसरों के कटु आलोचक होते हुए भी उनका सम्मान करना चाहिए.
अंतिम सुनवाई 9 जनवरी को
सुनील कुमार सिंह के वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि भले ही मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन चुनाव आयोग ने सुनील सिंह की खाली हुई सीट के लिए उप चुनाव की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव होते हैं और कोई निर्वाचित होता है तो उसी समय सुप्रीम कोर्ट सुनील सिंह के निष्कासन को रद्द कर देता है. उन्होंने अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट को इस महीने के अंत में होने वाले चुनावों पर रोक लगा देनी चाहिये. अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव स्थगित करने से इनकार कर दिया, कोर्ट ने कहा कि वह सुनील सिंह की रिट याटिका पर 9 जनवरी को अंतिम सुनवाई करेगा.
सदन के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छूट
सुनील सिंह के वकील सिंघवी ने कहा कि सदन के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छूट दी गई है. कोर्ट ने कहा कि आप संसद सदस्य हैं, क्या आप सदन के अंदर विरोधियों के खिलाफ ऐसी भाषा के इस्तेमाल का समर्थन करते हैं? इस पर सिंघवी ने कहा कि वह ऐसी भाषा का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन ऐसी भाषा के इस्तेमाल के लिए निष्कासन से विपक्ष की बेंच खाली हो जाएगी.