सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को दिया झटका, 28 साल पुरानी योजना पर फटकार
1996 में पंजाब सरकार द्वारा जारी की गई पंजाब प्राइवेटली मैनेज्ड एफिलिएटेड एंड पंजाब गवर्नमेंट एडेड कॉलेज पेंशनरी बेनिफिट्स स्कीम आज भी लागू नहीं हो पाई है. 28 साल बाद भी इस योजना का लाभ लाभार्थियों को नहीं मिल पाया, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो कोर्ट योजना के लाभार्थियों को आर्थिक मदद देने का आदेश भी दे सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को एक योजना को लागू नहीं करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है. यह योजना 1996 में जारी की गई थी, लेकिन 28 साल बाद भी इसे लागू नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार जल्द ही कार्रवाई नहीं करती है, तो वह लाभार्थियों को आर्थिक मदद देने का आदेश दे सकता है.
क्या है मामला?
पंजाब सरकार ने 1996 में पंजाब प्राइवेटली मैनेज्ड एफिलिएटेड एंड पंजाब गवर्नमेंट एडेड कॉलेज पेंशनरी बेनिफिट्स स्कीम जारी की थी, लेकिन यह योजना कभी लागू नहीं हुई. बाद में इस योजना को बंद कर दिया गया, हालांकि सरकार ने याचिका दायर करने वाले लोगों को आश्वासन दिया कि उन्हें लाभ मिलेगा. इसके बावजूद, आज तक उन लोगों को कोई मदद नहीं मिली. पंजाब सरकार की ओर से प्रशासन ने उच्च न्यायालय को दो बार आश्वासन दिया कि लाभार्थियों को योजना का लाभ मिलेगा, लेकिन कुछ भी ठोस नहीं हुआ.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय ओका की अगुआई वाली बेंच ने पंजाब सरकार के ढुलमुल रवैये को लेकर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन बार-बार आश्वासन दे रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिसे शर्मनाक करार दिया. इसके बाद, कोर्ट ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव और एक अन्य अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी किया है.
अगली सुनवाई 4 अप्रैल को
सुनवाई के दौरान, पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा द्वारा किए गए कुछ हाथों के हाव-भावों पर भी अदालत ने आपत्ति जताई. इसके बाद, पंजाब के महाधिवक्ता ने माफी मांगी. हालांकि, अदालत ने एक हफ्ते का समय देने के बावजूद अवमानना नोटिस जारी किया और इस मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को निर्धारित की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को कड़ी चेतावनी दी है कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता.