NRI Kota News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए एनआरआई कोटा की अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटा के विस्तार को 'शिक्षा प्रणाली का धोखा' करार दिया और पंजाब सरकार को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस विस्तार के कारण अधिक योग्य छात्रों को प्रवेश से वंचित किया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा एनआरआई कोटा के मापदंडों को बढ़ाने की योजना को खारिज किया गया था. कोर्ट ने कहा, 'हमें इस एनआरआई कोटा के खेल को समाप्त करना होगा. यह पूरी तरह से धोखा है, और हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ ऐसा कर रहे हैं.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनआरआई कोटा का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे मेरिट-आधारित प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। न्यायाधीशों ने इस कोटे के तहत उम्मीदवारों की पात्रता को "पैसा कमाने की चाल" बताते हुए शिक्षा प्रणाली की साख को कमजोर करने वाला कहा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, पंजाब सरकार अब एनआरआई कोटा का दायरा नहीं बढ़ा सकेगी. इस कोटे के तहत ऐसे व्यक्तियों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश की अनुमति थी, जो भारत में रहने वाले नागरिकों की तुलना में परीक्षा में नहीं बैठते थे. पंजाब सरकार ने इस कोटे को 15 प्रतिशत बढ़ाकर दूर के रिश्तेदारों को भी शामिल करने की योजना बनाई थी.
कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार की अधिसूचना में एनआरआई उम्मीदवारों की परिभाषा को फिर से परिभाषित किया गया था, जिसमें चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाइयों जैसे रिश्तेदारों को शामिल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के विस्तार से योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार किया जा रहा है, जिससे धन और संबंधों के आधार पर प्रवेश मिल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विस्तृत असर पंजाब सरकार की नीति और शिक्षा प्रणाली पर पड़ सकता है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एनआरआई कोटा के दुरुपयोग से योग्य छात्रों को अवसर नहीं मिल रहे हैं, जो कि शिक्षा के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.
एनआरआई कोटा का उद्देश्य विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों के सदस्यों को भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाना है. इस कोटे के तहत, ऐसे उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा से छूट मिलती है, जबकि भारत में रहने वाले नागरिकों को परीक्षा पास करनी होती है.
पंजाब सरकार ने हाल ही में इस कोटे के दायरे को बढ़ाने की योजना बनाई थी, जिसमें दूर के रिश्तेदारों को शामिल किया गया था. इससे चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाइयों जैसे रिश्तेदारों को भी एनआरआई कोटा का लाभ मिलने का प्रस्ताव था. हालांकि, कोर्ट ने इसे "धोखाधड़ी" बताते हुए अस्वीकार कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह का विस्तार योग्य छात्रों को दरकिनार कर रहा है और इस प्रक्रिया को धन और संबंधों पर आधारित बना रहा है. न्यायाधीशों ने कहा कि इससे शिक्षा प्रणाली की साख में गिरावट आ रही है, जिससे छात्रों में असंतोष बढ़ सकता है.
सुनवाई के दौरान, पंजाब सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी एनआरआई कोटा का इसी तरह का दुरुपयोग हो रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि प्रत्येक राज्य की नीति अलग होती है और पंजाब में इसे अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, पंजाब सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा और उसे सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा प्रणाली में योग्य छात्रों को प्राथमिकता दी जाए. इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि भविष्य में कोई भी कोटा प्रणाली पारदर्शिता और मेरिट के सिद्धांतों के अनुरूप हो.
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल पंजाब बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित करता है कि किस प्रकार शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाना आवश्यक है. First Updated : Tuesday, 24 September 2024