Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक हैंडबुक जारी की जिसमें अनुचित लैंगिक शब्दों की सूची दी गई है और इनकी जगह वैकल्पिक शब्द और वाक्यांश सुझाए गए हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है. चीफ जस्टिस ने हैंडबुक जारी करने की घोषणा करते हुए कहा, 'यह जजों और लीगल कम्युनिटी को कानूनी चर्चा में महिलाओं के बारे में सालों से चली आ रही रूढ़िवादी सोच को पहचानने, समझने और बदलने में सहायता करने के लिए है.
अदालतों की कार्यवाही और बहस के दौरान इस्तेमाल होने वाले टर्म को बदलने का मक़सद लैंगिक संवेदनशीलता को सुनिश्चित करना है. ऐसा कहा जाता है कि इन टर्मों के इस्तेमाल से भेदभाव वाले व्यवहार को वैधता मिलती है.
इस गाइडबुक का मक़सद क़ानून की भाषा और कोर्ट की सुनवाई के दौरान जो लैंगिक भेदभाव वाले शब्द इस्तेमाल होते रहे हैं, उनकी पहचान करना और उनके इस्तेमाल पर रोक लगाना है. डीवाई चंद्रचूड़- (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया)
सुप्रीम कोर्ट ने बताया क्या है स्टीरियोटाइपिंग?
इस हैंडबुक को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है. इस हैंडबुक में ये भी जानकारी दी गई है कि स्टोरियोटाइपिंग क्या होती है और लैंगिक असमानता को लाने में ये कैसे अहम भूमिका निभाते हैं.
इस हैंडबुक में उदाहरण के साथ बताया गया है कि स्टीरियोटाइपिंग ये होती है- ''कोई औरत ऐसा कपड़े पहने, जिसे पारंपरिक नहीं माना जाता है, तो वो मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती है. ऐसे में अगर कोई मर्द औरत की मर्ज़ी के बगैर उसे छूता है तो इसके लिए औरत ज़िम्मेदार है.''
पीएम ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया था
हाल ही में 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर पीएम मोदी ने लाल किले के प्राचीर से कहा था- अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध करवाया जा रहा है, इसके लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं. First Updated : Thursday, 17 August 2023