आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, नीतीश सरकार से मांगा जवाब
बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाइलाइट
- बिहार सरकार ने कानून और नियमों में बदलाव किया था। इसके बाद पिछले महीने आनंद मोहन समेत 26 कैदियों रिहा किया गया था।
बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का मामला फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई ने उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
हालांकि, डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से रिहाई की पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड भी मांग है।
बता दें कि नीतीश सरकार ने कानून और नियमों संसोधन किया था। पिछले महीने आनंद मोहन समेत 26 कैदियों जेल से रिहा कर दिया था। आनंद मोहन के जेल से रिहा होने के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद इस मामले पर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या वर्तमान में कानून के अंदर किया गया बदलाव कई साल पहले सुनाई गई सजा पर लागू होगा?
आनंद मोहन मामले में सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी होने के बाद जेडीयू का बयान सामने आया है। जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि जिन्हें नोटिस जारी हुआ वो इसका जवाब देंगे। वहीं जेडीयू प्रवक्ता नीरज कहा कि इस मामले में जिस-जिस पक्ष को जवाब देना है वो सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। पार्टी का कहना है कि आनंद मोहन समेत अन्य कैदियों को रिहा किए जाने के बाद पीड़ित पक्ष को न्यायालय जाने का अधिकार था।
आपको बता दें कि गोपालगंज पूर्व आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के आरोपी आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ उमा कृष्णैया ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है।