सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को तालाक को लेकर अहम फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर पति-पत्नी का रिश्ता इतना ज्यादा खराब हो चुका है कि अब दोनों के बीच सुलह की कोई गुंजाइश ही न बची है तो कोर्ट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक को मंजूरी दे सकता है। इसके लिए पत्नी-पत्नी को फैमिली कोर्ट नहीं जाने की जरूरत है और न ही छह महीने का इंतजार करना पड़ेगा।
जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, एएस ओका, विक्रम नाथ और जेके महेश्वरी की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है। तलाक के लिए छह महीने का समय हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने यह आदेश 20 सितंबर 2022 को ही सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में जिस मामले पर सुनवाई हुई थी वह था कि हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए अनिवार्य किया गया छह महीने का समय हटाया जा सकता है या नहीं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान तालाक के आधार भी तय किए है। कोर्ट ने कहा कि अगर शादी पूरी तरह टूट चुकी है तो क्या इसे तलाक देने का आधार माना जा सकता है या नहीं। इस लेकर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी ने तलाक के पिछले फैसले में जो शर्तें रखी है, अगर वो पूरी हो जाती है तो आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए उन्हें छह का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
1.'आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट को ऐसा आदेश पारित करने का अधिकार देता है, जो उसके सामने लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हैं।'
2. 'हमने माना है कि अदालत विवाह ना बचने के आधार पर शादी को खत्म कर सकती है। हमने ऐसे फैक्टर भी तय किए हैं जो बताते हैं कि विवाह कब टूटेगा।' First Updated : Monday, 01 May 2023