सुप्रीम कोर्ट का अनोखा सवाल... अगर पुरुषों को मासिक धर्म होता, तो क्या होता

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की महिला जजों को बर्खास्त करने की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर पुरुषों को मासिक धर्म होता, तो वे महिलाओं के दर्द को समझ पाते. इस मामले में क्या है पूरा सच और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल जानिए पूरी कहानी!

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Supreme Court Question: मध्य प्रदेश में महिला जजों को बर्खास्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. शीर्ष अदालत ने राज्य हाई कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि इस फैसले से महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता दिख रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पुरुषों को मासिक धर्म होता, तो वे इसे बेहतर समझ पाते. यह टिप्पणी न्यायिक अधिकारियों के लिए लागू मानदंडों पर सवाल उठाती है और महिलाओं के साथ भेदभाव की ओर इशारा करती है.

महिला जजों को बर्खास्त करने की वजह

मध्य प्रदेश सरकार ने छह महिला सिविल जजों की सेवा समाप्त कर दी थी, जिसका कारण इन जजों का प्रदर्शन प्रशासनिक बैठक में असंतोषजनक पाया जाना था. यह फैसला 2023 के जून महीने में लिया गया था. राज्य सरकार के विधि विभाग के अनुसार, इन जजों का प्रदर्शन प्रोबेशन पीरियड के दौरान ठीक नहीं था, जिसके चलते उनकी सेवाएं समाप्त की गईं.

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यदि पुरुषों को मासिक धर्म का अनुभव होता, तो उन्हें महिलाओं के शारीरिक और मानसिक दर्द का एहसास होता. इस टिप्पणी में अदालत ने यह जताया कि महिला जजों को सिर्फ उनके प्रदर्शन के आधार पर निष्कासित करना ठीक नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि अगर किसी महिला जज को शारीरिक या मानसिक पीड़ा हो, तो यह मानना कि वह धीमी हैं और उन्हें घर भेज देना उचित नहीं है.

मामले को लेकर चिंताएं और सवाल

कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जजों के लिए टारगेट यूनिट कैसे बनाई जा सकती है, खासकर उन मामलों में जिनमें शारीरिक और मानसिक रूप से महिला जज पीड़ित हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि यह मानदंड पुरुष जजों के लिए भी होना चाहिए. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 12 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है और फिर से इस पर विचार किया जाएगा. इससे पहले, 23 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से कहा था कि वह न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करे और प्रभावित जजों के अभ्यावेदन पर नए सिरे से विचार करे.

क्या है यह मामला?

इस पूरे मामले की शुरुआत जून 2023 में हुई, जब मध्य प्रदेश सरकार ने छह महिला जजों को बर्खास्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था और जनवरी 2024 से इसकी सुनवाई कर रहा था. यह मामला महिला जजों के साथ न्यायिक भेदभाव और प्रशासनिक निर्णयों में असंवेदनशीलता को उजागर करता है. सुप्रीम कोर्ट के बयान से यह साफ हो गया है कि महिला जजों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा और उनके खिलाफ उठाए गए फैसलों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी. First Updated : Wednesday, 04 December 2024