CJI की नाराजगी: एक ही मसले पर 100 याचिकाएं? कोर्ट का वक्त बर्बाद मत करो
बेंच ने स्पष्ट किया कि इस मामले में अधिकतम पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई संभव है. अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब कुछ अर्जियों में ही पूरी बात रखी जा सकती थी, तो एक ही मुद्दे पर सौ से ज्यादा अर्जियां दाखिल करने की क्या आवश्यकता थी? कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में अर्जियां दाखिल करना न तो व्यावहारिक है और न ही तार्किक.

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब मांगते हुए एक सप्ताह का समय दिया है. साथ ही अदालत ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाए.
याचिकाओं पर नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर दाखिल बड़ी संख्या में याचिकाओं पर भी नाराजगी जताई. अदालत ने कहा कि एक ही विषय पर 100 से ज्यादा याचिकाओं की कोई जरूरत नहीं थी. बेंच ने स्पष्ट किया कि वे अधिकतम पांच याचिकाओं पर ही विचार करेंगे, जिससे मामले की सुनवाई सुगमता से हो सके. कोर्ट ने पूछा कि जब पांच याचिकाएं पर्याप्त थीं, तो इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर करने की जरूरत क्यों पड़ी?
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा समय चाहिए. उन्होंने बताया कि केंद्र कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक उत्तर पेश करना चाहता है. अदालत ने यह मांग स्वीकार करते हुए केंद्र को एक सप्ताह का समय दे दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 1995 के वक्फ अधिनियम के तहत पहले से दर्ज संपत्तियों को फिलहाल किसी भी रूप में प्रभावित नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह आश्वासन भी दिया कि ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत आने वाली संपत्तियों को अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा.
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को हाल ही में संसद से पारित किया गया था और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 5 अप्रैल को इसे अधिसूचित किया गया. राज्यसभा में विधेयक को 128 के मुकाबले 95 मतों से और लोकसभा में 288 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया गया था.


