Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, संसद को इसका अधिकार
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत अदालत संसद के अधिकार क्षेत्र में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहती हैं.
Same Gender Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह पर कानून नहीं बन सकता है. इसके लिए हम केंद्र सरकार को निर्देश नहीं दे सकते हैं. समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना किसी भी व्यक्ति मौलिक अधिकार है.
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "विवाह का कोई अयोग्य अधिकार नहीं है सिवाय इसके कि इसे कानून के तहत मान्यता प्राप्त है. नागरिक संघ को कानूनी दर्जा प्रदान करना केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से ही हो सकता है. समलैंगिक संबंधों में ट्रांससेक्सुअल व्यक्तियों को शादी करने का अधिकार है."
जस्टिस रवीन्द्र भट्ट ने कहा, "विवाह करने का अयोग्य अधिकार नहीं हो सकता जिसे मौलिक अधिकार माना जाए. हालांकि, हम इस बात से सहमत हैं कि रिश्ते का अधिकार है, हम स्पष्ट रूप से मानते हैं कि ये अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है. इसमें एक साथी चुनने और उनके साथ शारीरिक संबंध का अधिकार शामिल है जिसमें गोपनीयता, स्वायत्तता आदि का अधिकार शामिल है. इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि जीवन साथी चुनने का विकल्प मौजूद है."
सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये फैसला सुनाया है. दरअसल, सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर दस दिनों तक सुनवाई की थी. इसके बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने भारत में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग पर कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव करने के जरूरत है या नहीं ये संसद को तय करना है. ऐसा करना संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकता
समलैंगिक विवाह मामले पर फैसला सुनाते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "चार फैसले हैं, फैसलों में कुछ हद तक सहमति और कुछ हद तक असहमति होती है." CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "शक्तियों का बंटवारा संविधान में दिया गया है. कोई भी अंग दूसरे के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ऐसी शादी को मान्यता देकर संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देगा. अदालत कानून नहीं बना सकती बल्कि केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है."
अपना पार्टनर चुनने की सभी को आजादी
समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "ये कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है. अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो ये देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा. विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, ये संसद को तय करना है. इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए." सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना किसी भी व्यक्ति मौलिक अधिकार है.'