सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शरद पवार को झटका, अजित पवार को 'घड़ी' चुनाव चिन्ह रखने की अनुमति!
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने अजित पवार को 'घड़ी' चुनाव चिन्ह का उपयोग जारी रखने की अनुमति दी, जबकि शरद पवार ने इसे रोकने की मांग की थी. कोर्ट ने अजित पवार से शपथ पत्र मांगा और इस मामले में अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी. राजनीतिक हलचल बढ़ गई है और यह स्थिति आगामी चुनावों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है. जानिए इस दिलचस्प मामले के सभी पहलू!
Supreme Court: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को एक बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को ठुकरा दिया. यह मामला तब सामने आया जब शरद पवार ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने मांग की थी कि अजित पवार को घड़ी का चिन्ह इस्तेमाल करने से रोका जाए.
अजित पवार को शपथ पत्र देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान अजित पवार से शपथ पत्र मांगा है. कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया कि वे यह स्पष्ट करें कि वे भविष्य में कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अजित पवार को यह बताना होगा कि वे पहले भी आदेशों का उल्लंघन नहीं कर रहे थे. अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी.
चुनाव आयोग का फैसला
चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली मानते हुए उन्हें घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया. इस पर शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को उनकी पार्टी के लिए एक अलग चिन्ह 'तुरही' आवंटित करने का आदेश दिया था. साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अजित पवार ने कोर्ट के आदेश के अनुसार घड़ी चिन्ह के साथ डिस्क्लेमर नहीं लगाया.
डिस्क्लेमर न लगाने का आरोप
सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस बात के सबूत पेश किए हैं कि अजित पवार ने डिस्क्लेमर लगाने का सही तरीके से पालन नहीं किया. उन्होंने कहा, 'लोग घड़ी चिन्ह को शरद पवार से पहचानते हैं' और यह दर्शाता है कि लोगों के मन में पवार गुट की छवि किस तरह स्थापित है.
बलबीर सिंह का पलटवार
इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि शरद पवार गुट की ओर से कोर्ट में गलत तस्वीरें पेश की गई हैं और उन पर आरोप लगाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा, 'एक-दो मामलों में गलती हो सकती है लेकिन इसका आधार बनाकर हम पर आरोप नहीं लगाया जा सकता.'
इस घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को और जटिल कर दिया है. चुनावी माहौल में यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में अगले सुनवाई के लिए लंबित है और इसके परिणाम का असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा. शरद पवार और अजित पवार के बीच की यह कानूनी लड़ाई उनके राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.