"14,300 फीट की ऊंचाई पर शिवाजी की प्रतिमा: भारत-चीन सीमा पर शौर्य और वीरता की नई मिसाल!"

भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के किनारे 14,300 फीट की ऊंचाई पर छत्रपति शिवाजी की भव्य प्रतिमा स्थापित की है। यह कदम भारतीय सेना की वीरता और रणनीतिक ताकत को दर्शाता है। 14वीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने इस प्रतिमा का अनावरण किया, जो शिवाजी के अडिग नेतृत्व और न्याय की भावना को सम्मानित करता है। यह प्रतिमा भारतीय सैन्य परंपरा और चीन के साथ सीमा पर शांति की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है। क्या है इस ऐतिहासिक कदम के पीछे का संदेश? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!

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Edited By: Aprajita

Chhatrapati Shivaji Statue: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते पूर्वी लद्दाख में स्थित पैंगोंग झील एक तनावपूर्ण क्षेत्र रहा है। इस बीच भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे न सिर्फ भारतीय सैन्य ताकत का प्रदर्शन होता है, बल्कि देश के इतिहास और शौर्य को भी सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना ने 14,300 फीट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील के किनारे मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की है। यह प्रतिमा भारतीय सैन्य शक्ति, वीरता और रणनीतिक सूझबूझ का प्रतीक बन गई है।

छत्रपति शिवाजी की वीरता का प्रतीक

इस प्रतिमा का अनावरण 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। 14वीं कोर, जिसे 'फायर एंड फ्यूरी कोर' के नाम से भी जाना जाता है, ने इस कदम को छत्रपति शिवाजी के अडिग नेतृत्व और न्याय के प्रति उनकी निष्ठा को सम्मानित करने के रूप में देखा है। शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों ने भारतीय उपमहाद्वीप में एक मजबूत सैन्य शक्ति का निर्माण किया, और उनकी वीरता आज भी भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

भारत-चीन सीमा पर अनूठा संदेश

यह प्रतिमा भारतीय सेना द्वारा एक मजबूत संदेश देने का हिस्सा है, खासकर जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। लद्दाख क्षेत्र में कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं, जिनमें पैंगोंग झील का इलाका विशेष रूप से चर्चा में रहा। 2020 में इस इलाके में हुई झड़पों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। लेकिन अब, सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद, स्थिति शांत हो गई है और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

भारत की रणनीतिक सूझबूझ को दर्शाता कदम

शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण उस समय हुआ है जब भारत और चीन ने हाल ही में दो प्रमुख घर्षण बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी की है। 2021 में पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध समाप्त हो गया। इस प्रक्रिया के बाद, भारतीय सेना ने शिवाजी की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया, जो भारत की रणनीतिक सूझबूझ और सैनिकों की वीरता को दर्शाता है।

भारत की सैन्य परंपरा को सम्मान

यह प्रतिमा भारतीय सैन्य परंपराओं को आज के समय के साथ जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। भारतीय सेना, जो प्राचीन समय से अपनी युद्धनीति और वीरता के लिए जानी जाती है, आज भी उसी ताकत के साथ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रही है। शिवाजी की प्रतिमा भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और यह कदम सेना के अनुशासन और वीरता को सलाम करने के लिए उठाया गया है।

एक कदम और प्रेरणा की ओर

इस प्रतिमा की स्थापना न सिर्फ शिवाजी की विरासत को सम्मानित करने के लिए की गई है, बल्कि यह भारतीय सेना की क्षमता और देश के प्रति उनकी निष्ठा को भी दर्शाता है। यह कदम इस बात का प्रतीक है कि भारत अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है और दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि हमारी सेना हर परिस्थिती में अपने देश की रक्षा के लिए तैयार है। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के बीच, यह शिवाजी की प्रतिमा भारतीय सेना के साहस और वीरता का प्रतीक बन चुकी है। यह प्रतिमा न केवल छत्रपति शिवाजी की धरोहर को सम्मानित करती है, बल्कि यह भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उन्हें और भी ज्यादा मजबूती प्रदान करती है।

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29 December 2024, 08:25 PM IST

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