चंद घंटों बाद भारत पहुंचेगा तहव्वुर राणा, जानिए कैसे मोदी सरकार ने अमेरिका से प्रत्यर्पण को बनाया संभव
मुंबई के 26/11 हमले के प्रमुख आरोपी तहव्वुर राणा अब कुछ ही घंटों में भारत पहुंचने वाला है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) की संयुक्त टीम ने तहव्वुर राणा को विशेष विमान से भारत के लिए रवाना कर दिया है.

26/11 हमलों का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा चंद घंटों में भारत आ रहा है. इस आतंकी को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और रॉ (RAW) की एक संयुक्त टीम उसे विशेष विमान से भारत लाने के लिए रवाना हो चुकी है. अनुमान है कि वह गुरुवार की दोपहर तक दिल्ली पहुंच जाएगा. इसके पहले राणा ने भारत भेजे जाने से बचने के लिए हर संभव कोशिश की थी, लेकिन उसकी याचिका को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. राणा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वह पार्किंसन रोग से पीड़ित है और भारत भेजे जाने पर उसे प्रताड़ित किया जा सकता है, लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम रही.
भारत सरकार ने उठाए कूटनीतिक कदम
भारत सरकार ने उसे प्रत्यर्पित करने के लिए कई कूटनीतिक कदम उठाए, जो अंततः सफल रहे. भारत ने 2011 में तहव्वुर राणा के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी और 2019 में पहली बार अमेरिका से उसकी प्रत्यर्पण की मांग की थी.2020 और 2021 में भारत ने अमेरिकी अधिकारियों से राणा के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया था और कानूनी रास्ते से भारतीय अदालत में लाने का दबाव डाला.
26/11 का हमला भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ था, जब लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकियों ने मुंबई में खूनी हमला किया. इस हमले में 175 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. राणा का सीधा संबंध इस हमले से था, क्योंकि उसने डेविड हेडली को मुंबई की रेकी करने में मदद की थी, जो इस आतंकी हमले का मुख्य योजनाकार था.
भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राणा को भारत सौंपने का ऐलान किया था, जो भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है. इसके बाद राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज हो गई थी. अक्टूबर 2009 में राणा को शिकागो में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था और उसके बाद 2011 में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी. हेडली की गवाही के आधार पर उसे यह सजा दी गई थी, क्योंकि हेडली ने बताया था कि राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को भारतीय हमलों के लिए मार्गदर्शन किया था.
भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि 26/11 हमले के दोषी अब भारतीय न्यायालय के सामने लाए जा रहे हैं. वहीं, तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में भारत के कूटनीतिक प्रयासों की अहम भूमिका रही है. हालांकि, यूपीए सरकार के कार्यकाल में इस मुद्दे पर अधिक दबाव नहीं बनाया गया था, लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने इसे प्राथमिकता के तौर पर लिया.
भारत की प्रतिबद्धता
राणा का पाकिस्तान से कनाडा तक का सफर और फिर लश्कर-ए-तैयबा से संबंध उसे एक खतरनाक आतंकवादी बना देता है. राणा की गिरफ्तारी और भारत प्रत्यर्पण से यह साबित होता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता मजबूत है और वह किसी भी आतंकवादी को उनके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए दृढ़ संकल्पित है.


