तमिलनाडु सरकार ने बजट से हटाया ₹ का सिंबल, साउथ में बढ़ती जा रही हिंदी की खिलाफत
साउथ में हिंदी का विरोध बढ़ता ही जा रहा है, इसका असर अब सरकार कार्यों में भी देखने को मिला है. तमिलनाडु सरकार ने बजट 2025 से रुपये ₹ का सिंबल हटा दिया है. इसकी जगह तमिल भाषा में एक वर्ण को लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह हिंदी की खिलाफत करने का एक नया तरीका है.

Tamil Nadu ₹ symbol: तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें राज्य के बजट से ₹ का सिंबल हटा दिया गया है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार ने ₹ के स्थान पर 'ரூ' (रू) सिंबल को अपनाया है, जो तमिल लिपि का एक अक्षर है. यह बदलाव देशभर में ₹ सिंबल का स्थान लेने वाला पहला उदाहरण है और इसे तमिलनाडु में चल रहे भाषा विवाद से जोड़ा जा रहा है.
रूपया (₹) का सिंबल भारतीय तिरंगे से प्रेरित था, जिसे उदय कुमार धर्मलिंगम ने डिजाइन किया था. धर्मलिंगम तमिलनाडु के रहने वाले हैं और उनका डिज़ाइन पांच शॉर्टलिस्टेड सिंबल में से चुना गया था. यह सिंबल 2010 में अपनाया गया था और भारतीय मुद्रा के लिए आधिकारिक प्रतीक बन गया था. दिलचस्प बात यह है कि धर्मलिंगम तमिलनाडु के एक पूर्व विधायक के बेटे हैं.
₹ की जगह नया सिंबल
अब, तमिलनाडु सरकार द्वारा ₹ सिंबल को बदलकर 'ரூ' सिंबल अपनाने के फैसले को राज्य में चल रहे हिंदी विरोधी आंदोलन से जोड़ा जा रहा है. तमिलनाडु में हिंदी के खिलाफ लंबे समय से एक सियासी संघर्ष चल रहा है, और हाल ही में मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस मुद्दे को लेकर एक बयान भी दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि हिंदी थोपने की कोशिश के कारण भारत की प्राचीन भाषाएं खतरे में हैं.
स्टालिन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा था कि हिंदी के बढ़ते प्रभाव के कारण कई स्थानीय भाषाएं लुप्त हो रही हैं. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश जैसी जगहों की भाषाओं को दिया, जहां की स्थानीय भाषाएं हिंदी के दबाव में दम तोड़ रही हैं. उनके अनुसार, हिंदी ने कई भाषाओं को अपने अंदर समाहित कर लिया है और इस कारण उन भाषाओं का अस्तित्व संकट में आ गया है.
इस फैसले के बाद से राज्य में भाषा को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है. तमिलनाडु सरकार का यह कदम, विशेष रूप से हिंदी को लेकर राज्य की स्थिति को स्पष्ट करता है और इसे सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है.