आज भारत के तेलंगाना राज्य का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। 2 जून, 2014 को तेलंगाना का अधिकारिक तौर पर राज्य का गठन हुआ था। लंबे समय तक प्रदेश को अलग करने के लिए कई वर्षों तक आंदोलन किया गया था। जिसके बाद इसका राज्य गठन किया गया था। इस दिन को तेलंगाना स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह राज्य काकतीय राजवंश से जुड़ा है, जो अपने वास्तुशिल्प चमत्कारों व सांस्कृतिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। बता दें काकतीय राजवंश को विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासन की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। जिससे क्षेत्र की स्वायत्तता और पहचानप्रभावित हुई। काकतीय वंश के राजाओं का शासन हैदराबाद के पूर्वी भाग तेलंगाना में था।
1 नवंबर,1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने तेलंगाना को भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश में विलय हुआ था। लेकिन इसके कुछ समय बाद से ही आंध्र प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेंलगाना क्षेत्र पिछड़ा गया। जिसके बाद से ही इसे अलग राज्य बनाने की मांग उठने लगी और लंबे समय तक इसकी लड़ाई चली।
साल 1972-2009 में इसको लेकर दो बड़े आंदोलन हुए। जिसके परिणामस्वरूप तेलंगाना को अलग किया गया। राज्य को लेकर करने की मांग को लेकर तेलंगाना के मौजूदा मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। लंबे संघर्ष के बाद 2 जून, 2014 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में तेलंगाना का गठन हुआ।
तेलंगाना जीवंत सांस्कृतिक विरासत यहां के लोगों की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है। यह प्रदेश बोनालू, बथुकम्मा, और पेरिनी शिवतांडवम जैसे अद्वितीय कला रूपों के लिए प्रसिद्ध है। जोकि राज्य की सांस्कृतिक टेपेस्ट्री को प्रदर्शित करते हैं। राज्य का नाम तेलंगाना क्यों पड़ा ऐसी मान्यताएं हैं कि तीन पर्वतों पर लिंग के रूप में भगवान शिव इस जगह पर प्रकट हुए थे।
इनमें मल्लिकार्जुन, द्राक्षाराम और कालेश्वरम, शामिल है। यह पूरा क्षेत्र इन्ही पर्वतों की सीमा के बीच बसा है। इसीलिए इस विशेष क्षेत्र को त्रिलिंग देश भी कहा गया। यहां की भाषा इसी आधार पर तेलुगु कहलाई। धीरे-धीरे बदलते दौर में राज्य का नाम तेलंगाना पड़ गया है। First Updated : Friday, 02 June 2023