Assembly Election 2023: हैदराबाद या फिर भाग्यनगर? जानिए क्या है पूरा विवाद और इतिहास
Assembly Election 2023: बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में PM Narendra Modi ने हैदराबाद को भाग्यनगर कहा, जिसके बाद इस शहर के नाम को लेकर फिर से बहस शुरू हो गई है.
हाइलाइट
- हैदराबाद जिसे PM मोदी ने कहा 'भाग्यनगर'; जानें क्या है इस शहर के नाम का इतिहास
Assembly Election 2023: हैदराबाद या फिर भाग्यनगर? इसपर कई सालों से विवाद चल रहा है. नाम बदलने वालों का कहना है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव प्रसार का आखरी दिन है. इसी बीच तेलंगाना की राजधानी का नाम बदलने को लेकर सियासत तेज है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जो कि जुलाई के महीने में हुई थी उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद को भाग्यनगर कहा था. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने भाग्यनगर में ही ‘एक भारत’ का नारा दिया था. इसके बाद तेलंगाना के अध्यक्ष ने कहा है कि अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनती है तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा.
"हैदराबाद का नाम क्यों नहीं बदलना चाहिए"
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मद्रास का नाम बीजेपी ने नहीं बल्कि द्रमुक सरकार ने बदलकर चेन्नई किया. जब मद्रास का नाम चेन्नई, बॉम्बे का मुंबई, कलकत्ता का कोलकाता, राजपथ का कर्तव्य पथ कर दिया गया है तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने में क्या गलत है. जी किशन रेड्डी ने कहा कि बीजेपी नाम बदलने पर बुद्धिजीवियों की सलाह भी लेगी.
बता दें कि जी किशन रेड्डी से पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने भी हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कही थी.
"भाग्यमती नाम की महिला से क्या है हैदराबाद का संबंध"
कहा जाता है कि गोलकुंडा राजाओं यानि कि जिन्होंने हैदराबाद की स्थापना की, उनमें से पांचवें कुली कुतुब शाह को हैदराबाद की स्थापना से पहले ही भाग्यमती से प्यार हो गया था. उनके पिता, इब्राहिम कुतुब शाह ने पुराना पुल का निर्माण किया ताकि उनका बेटा अपने प्रेमी से मिल सके. बाद में कुली कुतुब शाह ने भाग्यमती से शादी कर ली. जिसके बाद नए शहर की निर्माण किया तो उस शहर का नाम भाग्यनगर रख दिया. जब भाग्यमती ने इस्लाम कबूल कर लिया तो उस शहर का नाम बदल कर हैदराबाद कर दिया गया. जहां कई इतिहासकार इससे सहमति जताते हैं तो वहीं कुछ इतिहासकारों में मतभेद भी हैं.
भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर कब-कब हुआ विवाद?
भाग्यनगर नाम के पीछे एक कहानी भाग्यलक्ष्मी मंदिर से जुड़ी बताई जाती है. इस मंदिर को लेकर कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं. बताया जाता है कि चारमीनार के स्थान पर देवी लक्ष्मी आई थीं. संतरियों ने उन्हें रोका और राजा की आज्ञा लेने चले गए. देवी लक्ष्मी वहीं खड़ी हो गईं. माना यह भी जाता है कि देवी लक्ष्मी ने वहीं पर घर बना लिया और कालांतर में वहां लोगों ने मंदिर बना दिया.
हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर का जो 'आधुनिक' इतिहास रहा है, उसके चलते वहां कई बार हिंसक विवाद भी हो चुके हैं. 1979 में दिवाली के समय में एमआईएम (MIM) की ओर से पुराने हैदराबाद में बंद के आह्वान को लेकर हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें मंदिर पर हमला किया गया था. इसके बाद सितंबर 1983 में गणेश उत्सव के दौरान मंदिर पर एक बैनर लगाने को लेकर तनाव भड़क गया था, जिसको लेकर मंदिर और मस्जिद दोनों को निशाना बनाया गया था. वहीं सबसे ताजा विवाद 2012 के नवंबर में हुआ था, जब आरोप लगे थे कि मंदिर प्रबंधन ढांचे का विस्तार कर रहा है. इसके बाद आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिर में किसी तरह के निर्माण की गतिविधि पर रोक लगा दी थी और यथास्थिति को बरकरार रखने कहा था.