Explainer: त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में तनाव: धार्मिक नेता की गिरफ्तारी और राजनयिक संबंधों में उथल-पुथल
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बीच गुरुवार को दो वरिष्ठ बांग्लादेशी राजनयिकों को 'तत्काल' वापस बुला लिया गया। यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर रहा है बल्कि भारत और बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों में भी उथल-पुथल मचा रहा है.
Explainer: दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच गुरुवार को भारत में दो वरिष्ठ बांग्लादेशी राजनयिकों को 'तत्काल' वापस बुला लिया गया। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार ने कोलकाता में कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदर मोहम्मद अशरफुल रहमान और अगरतला में सहायक उच्चायुक्त आरिफ मोहम्मद को वापस बुला लिया। त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल, जो बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं, हाल ही में धार्मिक नेता और हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद बढ़े तनाव का केंद्र बने हुए हैं. यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर रहा है बल्कि भारत और बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों में भी उथल-पुथल मचा रहा है.
धार्मिक नेता की गिरफ्तारी और विवाद
चिन्मय कृष्ण दास प्रभु, जो हिंदू समुदाय के एक प्रमुख धार्मिक नेता माने जाते हैं, को बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले होने की खबरें सामने आईं. इन घटनाओं ने भारत के त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया.
अगरतला मिशन में सुरक्षा भंग
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के परिसर में इस सप्ताह सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने घुसपैठ की. इसके चलते मिशन को अपनी वाणिज्यिक सेवाएं अस्थायी रूप से बंद करनी पड़ी. प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचारों और चिन्मय दास की गिरफ्तारी के खिलाफ नारेबाजी की.
बांग्लादेश का बयान
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की कड़ी निंदा की. मंत्रालय के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सहायक उच्चायोग के मुख्य द्वार को तोड़ा, परिसर में घुसकर ध्वज स्तंभ को नुकसान पहुंचाया और बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में विफल रहीं।
राजनयिकों की वापसी
नई दिल्ली स्थित राजनयिक सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने अपने दो राजनयिकों—सिकदर मोहम्मद और आरिफ मोहम्मद—को आपातकालीन आधार पर ढाका बुला लिया है। यह फैसला अगरतला और अन्य स्थानों पर बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के चलते लिया गया। सिकदर मोहम्मद गुरुवार को बांग्लादेश लौट चुके हैं, जबकि आरिफ मोहम्मद शनिवार तक ढाका पहुंच जाएंगे।
हिंदू समुदाय का आक्रोश
त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में हिंदू संगठनों और स्थानीय समुदायों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए हैं. वे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इन विरोध प्रदर्शनों में धार्मिक नारों के साथ-साथ राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिशें भी देखी गईं.
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
यह घटना भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है. दोनों देशों के बीच पहले से ही सीमा सुरक्षा, अल्पसंख्यकों की स्थिति और अन्य मुद्दों पर तनाव है. धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं के जुड़ाव ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है.
धार्मिक सौहार्द के लिए भी एक गंभीर चुनौती
दोनों देशों की सरकारों को इस संवेदनशील मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति का सहारा लेना होगा. जबकि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है, वहीं भारत को भी अपने नागरिकों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए प्रेरित करना होगा ताकि राजनयिक संबंध और बिगड़ने से बच सकें. यह घटना न केवल क्षेत्रीय स्थिरता बल्कि धार्मिक सौहार्द के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।