इंडिया गठबंधन में कैबिनेट विस्तार को लेकर बढ़ी खींचतान, कांग्रेस और आरजेडी के बीच विवाद
झारखंड मुक्ति मोर्चा में कैबिनेट को लेकर लगभग फॉर्मूला पार्टी के अंदर सेट हो गया है कि कौन से विधायक को मंत्री बनाना है. कहा जा रहा है कि 9 दिसंबर से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा
झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को मिले प्रचंड बहुमत के बाद हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि, शपथ ग्रहण के चार दिन बाद भी कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है. इस देरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चा तेज हो गई है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था कि कैबिनेट का विस्तार अगले 1-2 दिनों में हो जाएगा. लेकिन अब तक यह बयान हकीकत में नहीं बदला है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी के कई कारण हैं. इनमें प्रमुख कारण गठबंधन के भीतर मंत्रियों के पद को लेकर चल रही लाचारी और लॉबिंग है.
कैबिनेट विस्तार के लिए क्या फॉर्मूला है?
झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को मिली भारी जीत के बाद, कांग्रेस और आरजेडी जैसे गठबंधन दल अब मंत्रिमंडल में अपने हिस्से को लेकर सक्रिय हो गए हैं. 2019 में जब हेमंत सोरेन की सरकार बनी थी, तो चार विधायकों पर एक मंत्री पद दिया गया था, लेकिन अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास ज्यादा विधायक हैं, इस वजह से पार्टी पांच विधायकों को एक मंत्री के रूप में रखने का फॉर्मूला चाहती है. वहीं कांग्रेस और आरजेडी इस पुराने फॉर्मूले को दोहराना चाहते हैं, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है.
कांग्रेस और आरजेडी में लॉबिंग तेज
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच मंत्रिमंडल में अपनी हिस्सेदारी को लेकर लॉबिंग चल रही है. कांग्रेस के कई विधायक दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रख रहे हैं, वहीं आरजेडी की राजनीति पटना में सक्रिय है और पार्टी सुप्रीमो लालू यादव के निर्देश का इंतजार कर रही है. इन दोनों दलों में मंत्री पद को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जिसके कारण विस्तार में देर हो रही है.
क्या कहती है झारखंड मुक्ति मोर्चा?
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही हो जाएगा और इसमें नए चेहरों के साथ-साथ पुराने और अनुभवी नेताओं को भी जगह दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट में झारखंड के सभी क्षेत्रों और प्रमंडलों का प्रतिनिधित्व होगा और महिलाओं को भी प्रमुखता से स्थान मिलेगा.
मनोज पांडेय ने इस बात का भी जिक्र किया कि गठबंधन में कोई आंतरिक कलह नहीं है, जैसा कि बीजेपी दावा कर रही है. उनका कहना था कि बीजेपी को इस मामले में चुप रहना चाहिए क्योंकि महाराष्ट्र में भी गठबंधन सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं हो सका था.
बीजेपी के आरोप
बीजेपी ने झारखंड के कैबिनेट विस्तार में देरी को लेकर गठबंधन पर हमला बोला है. बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र राय ने कहा कि इंडिया गठबंधन एक अस्वाभाविक गठबंधन है, जिसमें अलग-अलग विचारधाराओं के दल शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और जेएमएम सिर्फ सत्ता के लिए एक साथ आए हैं, और झारखंड की जनता से किए गए वायदों को पूरा नहीं किया जाएगा.
रविंद्र राय ने झारखंड में भाजपा की हार के बावजूद गठबंधन के नेताओं की स्थिति पर सवाल उठाया. उनका कहना था कि गठबंधन के दलों की सोच नहीं बदली है और वे सिर्फ सत्ता के पीछे भाग रहे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लालू यादव झारखंड में कुछ खास नहीं कर रहे और उनकी सोच सिर्फ बिहार तक सीमित है.
क्या होगा अगले कुछ दिनों में?
झारखंड विधानसभा के सत्र की शुरुआत 9 दिसंबर से होने जा रही है, और इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि मंत्रिमंडल का विस्तार सत्र से पहले हो जाएगा. हालांकि, इसके लिए गठबंधन दलों को एकजुट होकर समझौता करना होगा. फिलहाल, सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या 9 दिसंबर से पहले कैबिनेट विस्तार हो पाएगा या नहीं. झारखंड की राजनीति में फिलहाल एक नई चुनौती खड़ी हो गई है, जहां गठबंधन की पार्टियों के बीच आंतरिक कलह और कैबिनेट के फॉर्मूले को लेकर चल रही बहस ने सरकार के गठन को मुश्किल बना दिया है.