भारत के वो राष्ट्रपति जिनके छोटे भाई को बनाया गया पाकिस्तान में शिक्षा मंत्री!

जाकिर हुसैन जो भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे, उनके छोटे भाई मुहम्मद पाकिस्तान चले गये थे. वह जिन्ना के कट्टर समर्थक थे. बाद में उन्हें पाकिस्तान का शिक्षा मंत्री बनाया गया.

calender

Pakistan: आज पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा. पाकिस्तान में कुछ हो और भारत का जिक्र ना किया जाए ऐसा थोड़ा मुश्किल है. आज हम बात करेंगे भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और उनके भाई के बारे में. जहां एक तरफ जाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति बने वहीं, उनके भाई पाकिस्तान के कट्टर समर्थक थे. जिसके चलते उन्हें पाकिस्तान में शिक्षा मंत्री बनने का मौका भी मिला. 

जाकिर हुसैन 

ज़ाकिर हुसैन का जन्म हैदराबाद में हुआ था. उसके परिवार में सभी लोग पढ़े लिखे थे. हैदराबाद से ज़ाकिर हुसैन का परिवार उत्तर प्रदेश के कायमगंज में आकर बस गया था. यहीं पर उनके सबसे छोटे भाई का जन्म हुआ था. परिवार में सबसे छोटे मुहम्मद हुसैन खान थे, लेकिन उनकी विचारधारा जाकिर हुसैन से एकदम अलग थी. उन्होंने भी राजनीति में कदम रखा लेकिन फर्क इतना था कि भारत की जगह पर उन्होंने पाकिस्तान का रुख किया. मुहम्मद हुसैन को जिन्ना का खास माना जाता है. 

भाईयों में आई दूरी 

जहां एक तरफ जाकिर हुसैन पढ़ाई के दौरान महात्मा गांधी के करीब आए. उन्होंने आजादी की लड़ाई और शिक्षा से जुड़े मुद्दों के लिए काम किया, इसके बाद वो जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के पद पर भी रहे. राजनीति में आगे बढ़ते हुए वो गवर्नर बने और 13 मई 1967 में भारत के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए. दूसरी तरफ उनके भाई मुहम्मद हुसैन फनसे बिलकुल अलग विचारधारा के थे. कहा जाता है कि राजनीति ने जाकिर हुसैन के परिवार में काफी अलगाव पैदा कर दिया. स्थिति इतनी विचित्र हो गई कि भाइयों के बीच मतभेद होने लगे. 

जिन्ना के साथ खास रिश्ता

जब विभाजन के साथ बंटवारा हुआ तो मुहम्मद हुसैन और एक अन्य भाई पाकिस्तान चले गये. चूँकि मुहम्मद जिन्ना के बहुत करीबी माने जाते थे, इसलिए उन्हें पाकिस्तान असेंबली में सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. मोहम्मद हुसैन को पाकिस्तान में एक शिक्षाविद् के रूप में याद किया जाता है. 

पाकिस्तान में बनाए गए मंत्री 

1949 में उन्हें पाकिस्तान का रक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री बनाया गया. 1948 में जब कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो मंत्री के रूप में मुहम्मद ने कश्मीर की पुरजोर वकालत की. उन्हें पाकिस्तान में लियाकत अली खान की सरकार में कुछ वक्त के लिए कश्मीर मामलों का मंत्री भी बनाया गया था. 

1952 में मुहम्मद हुसैन को पाकिस्तान का शिक्षा मंत्री बनाया गया. 1953 में जब पाकिस्तान की संसद भंग हुई तो उन्होंने खुद को राजनीति से दूर कर लिया. कहा जदा सकता है कि वो अपने बड़े भाई की तरह वह राजनीति में बहुत ऊपर तक नहीं पहुंच सके.  First Updated : Thursday, 08 February 2024