हम सभी ने कई तरह के अंतिम संस्कार होते देखे हैं। क्या आपने कभी ऐसा देखा है कि शव को श्मशान घाट की बजाय सीधे पुलिस स्टेशन ले जाया गया हो, ऐसा पढ़ना या देखना अजीब लगता है. हाल ही में बालाघाट के कटंगी शहर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. 28 नवंबर की शाम को एक महिला की मौत हो गई. शव तैयार था और श्मशान जाने वाला था, तभी पुलिस ने पहुंचकर शव को कब्जे में ले लिया. इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
वसीयत बनीं विवाद की जड़
जानकारी अनुसार, शव को सिर्फ़ वसीयत के आधार पर पुलिस हिरासत में भेजा गया था. 82 वर्षीय देवकन बाई बिसेन के पास बालाघाट में लगभग 18 एकड़ ज़मीन और एक घर है. मरने से पहले उन्होंने वसीयत लिखी थी. वसीयत में लिखा था कि उनकी संपत्ति उस व्यक्ति की होगी जो उनके अंतिम वर्षों में उनकी देखभाल करेगा. इस मामले में देवकन बाई की देखभाल बालाघाट में उनकी बहन के बेटे ओपी ठाकुर ने की थी. तीन साल तक देवकन ओपी ठाकुर के साथ रहीं. जिसके बाद 28 नवंबर की रात 10 बजे उनकी मौत हो गई.
देवर के बेटे ने जताया मौत पर शक
कहानी में तब नया मोड़ आया जब देवकन बाई की मौत की खबर उसके देवर के बेटे सुभाष बिसेन को पता चली. सुभाष बिसेन को अपनी बड़ी मां की मौत पर शक होने लगा. उसे शक था कि यह हत्या है. उसने एफआईआर भी दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की और शव को कब्जे में ले लिया.
कटंगी थाना प्रभारी गेहलोद सेमलिया ने बताया कि मृतक महिला के जेठ के बेटे ने हत्या का संदेह जताया है. ऐसे मामले में शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. इस तरह के मामले हर राज्य के गांवों में बहुत आम हैं. कई बार संपत्ति लेने की बात आती है तो परिवार के सदस्यों और उनके इरादों को समझना मुश्किल हो जाता है. इस वजह से बहुत से बड़े लोग किसी के नाम पर वसीयत लिख कर तैयार कर देते हैं ताकि परिवार के सदस्यों के बीच किसी तरह का मतभेद न हो. First Updated : Saturday, 30 November 2024