दिल्ली विधानसभा चुनावः अगर 'आप' ने कांग्रेस से हाथ मिलाया, तो क्या होगा इसका असर?

दिल्ली में कांग्रेस और आप में गठबंधन हो सकता है या नहीं यह तो समय ही बताएगा. अगर यह अलायंस हो गया तो इसका असर क्या होगा हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं. कई लोग इस अलायंस को आप के भविष्य पर संकट के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि अगर आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तो उसके स्वावलंबनवह खतरा हो सकता है.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली. 2025 में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 62 सीटें जीतकर एक ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) को केवल 8 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में कांग्रेस का एक बार फिर सफाया हुआ था और पार्टी ने दिल्ली से पूरी तरह से अपनी उम्मीदें छोड़ दी थीं. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति पहले जैसी ही कमजोर नजर आ रही है.

दोनों पार्टियों को कड़ी टक्कर दी

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए एक नई राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है. पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में 'आप' ने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई और लगातार दिल्ली, पंजाब और अन्य राज्यों में अपनी जड़ें मजबूत कीं. दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता की अदला-बदली की परंपरा रही है, लेकिन अब 'आप' ने इन दोनों पार्टियों को कड़ी टक्कर दी है.

राजनीति में उसकी स्थिति अभी भी कमजोर

अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव एक महत्वपूर्ण अवसर है. 2013 में कांग्रेस से सत्ता छीनने और फिर भाजपा के खिलाफ संघर्ष करने के बाद 2015 और 2020 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना उनकी बड़ी राजनीतिक सफलता मानी जाती है. हालांकि, 'आप' की राजनीतिक शैली और निर्णय लेने की प्रक्रिया अलग रही है. पार्टी ने कई विवादास्पद मुद्दों पर निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाया, लेकिन केंद्रीय राजनीति में उसकी स्थिति अभी भी कमजोर है।

राजनीतिक स्वायत्तता के लिए खतरा

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी. यह फैसला कांग्रेस के प्रति 'आप' की बढ़ती असहजता को दर्शाता है, खासकर हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ 'आप' की हार के बाद. कांग्रेस से गठबंधन करने के बजाय 'आप' ने इसे अपनी राजनीतिक स्वायत्तता के लिए खतरा माना.

कांग्रेस और 'आप' का गठबंधन दिल्ली में स्थिर नहीं रहा

कांग्रेस और 'आप' का गठबंधन दिल्ली में कभी स्थिर नहीं रहा. 2013 में जब 'आप' ने दिल्ली में कांग्रेस से सत्ता छीन ली, तो भाजपा ने इन दोनों दलों को राजनीति में एक नई चुनौती दी थी. 2015 और 2020 में भी दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ीं. 2024 में लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी थीं, और दोनों के लिए परिणाम निराशाजनक रहे थे. 2020 में दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने सभी सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस और 'आप' दोनों की स्थिति कमजोर रही.

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलेगी

कांग्रेस ने 2008 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन और भी खराब रहा, और वह अपनी सीटें तक नहीं बचा पाई. 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने के संकेत हैं. पार्टी के नेता जैसे देवेंद्र यादव और संदीप दीक्षित ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलेगी.

कांग्रेस और 'आप' में चलता है यह खेल

कांग्रेस और 'आप' के बीच संबंधों में हमेशा स्वार्थ का खेल चलता रहा है. 2015 और 2020 में 'आप' ने कांग्रेस को नकारा किया, लेकिन जब पार्टी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी, तो उसने कांग्रेस से समर्थन लिया. अब जब कांग्रेस का राजनीतिक प्रभाव घट रहा है, तो 'आप' के लिए कांग्रेस से गठबंधन करना और भी मुश्किल हो गया है.

गठबंधन के परिणाम अच्छे नहीं रहे

वहीं, कांग्रेस के लिए भी यह चुनौती है कि वह अपनी पहचान कैसे बनाए रखेगी. 2024 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस और 'आप' का गठबंधन एक अच्छा विचार था, लेकिन परिणाम इस गठबंधन के पक्ष में नहीं रहे. दिल्ली की जनता ने दोनों दलों को नकारते हुए भाजपा को वोट दिया. अब कांग्रेस के लिए दिल्ली में अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करना चुनौतीपूर्ण होगा.

'आप' और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय प्रतिस्पर्धा

कांग्रेस और 'आप' के बीच गठबंधन के बारे में केजरीवाल के बयान से यह साफ हो गया कि पार्टी अपनी राह अकेले ही तय करेगी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'आप' और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा त्रिकोणीय हो सकती है, लेकिन इसमें भाजपा को लाभ मिलने की संभावना है. दिल्ली की राजनीति में 'आप' और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ना होना भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि जब भी त्रिकोणीय मुकाबला होता है, सत्ता पक्ष को फायदा होता है.

समाप्त हो चुकी है गठबंधन की संभावना 

अंततः, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस के लिए राह कठिन दिखाई दे रही है. 'आप' और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना समाप्त हो चुकी है, और अब दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी होंगी. जहां 'आप' के पास मजबूत समर्थन है, वहीं कांग्रेस का चुनावी भविष्य असमंजस में है. दिल्ली की राजनीति में आने वाले समय में 'आप' और कांग्रेस के रिश्तों की दिशा निश्चित तौर पर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, और दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

calender
07 December 2024, 02:33 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो