गृह मंत्री अमित शाह और टीएमसी सांसद सौगत रॉय के बीच मंगलवार को बहस हो गई. इसकी शुरुआत रॉय के उस कमेंट से हुई, जिसमें उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक संविधान, एक निशान और एक प्रधान की आलोचना किया और इसे पॉलिटिकल स्टंट बताया. रॉय की बात पर एतराज जताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि किसी देश में दो संविधान, दो झंडे कैसे हो सकते हैं. शाह का इशारा कश्मीर के अलग झंडे और कायदे-कानूनों पर था.
गृहमंत्री अमित शाह का बयान वायरल होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि अमेरिका में 50 राज्य हैं और सभी का अपना झंडा और संविधान है. अमेरिका में वाकई ऐसा है, लेकिन वहां का मॉडल अलग है. दोनों के संविधान में बुनियादी फर्क ही काफी ज्यादा है.
अमेरिका का संविधान फेडरल है, जबकि भारत में ये क्वाजाए- फेडरल है. यानी अमेरिकी संविधान अपना रूप नहीं बदल सकता, जबकि भारत में अलग-अलग हालात में राज्यों के अधिकार छीने, या कम किए जा सकते हैं और केंद्र यहां सर्वशक्तिमान है. हमारे संविधान ने सरकार को यूनिटरी और फेडरल दोनों के ही पावर दिए हैं. इसमें ताकत का विभाजन भी होता है ताकि लोकतंत्र बना रहे.
जब 1787 में अमेरिकी संविधान का मसौदा तैयार किया गया तो वहां के सारे राज्यों के पास पहले से ही अपने नियम थे. ऐसे में उनमें बेसिर नियमों में ज्यादा हेरफेर नहीं किया गया. बाकी बदलाव स्वीकार कर लिए गए. ये संविधान करीब साढ़े 4 हजार शब्दों का है.
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है. लेकिन जब ये बना, तब स्थितियां भी अलग थीं. भारत को ब्रिटेन से आजादी मिली थी. ढेर सारी रियासतें और प्रांत थे. तब देश के लिए सबसे जरूरी ये था कि सबको एक संविधान और एक झंडे के नीचे लाया जाए ताकि सेंस ऑफ यूनिटी बने. गुलामी की भावना से छुटकारे के लिए ये जरूरी था. तभी संविधान बनाया गया.
- भारत में राज्य संविधान संशोधन का आवेदन नहीं कर सकते, जबकि अमेरिका में उन्हें यह अधिकार प्राप्त है.
- अमेरिकी संविधान में नेशनल इमरजेंसी का कंसेप्ट नहीं है, जबकि हमारे यहां आपातकाल का प्रावधान है और कई बार राज्यों और देश में लगाया भी गया है.
- भारत के प्रधानमंत्री का चुनाव संसद सदस्य करते हैं, वहीं अमेरिका में सीधे जनता राष्ट्रपति को चुनती है.
- दोनों संविधानों में कई तरह की समानताएं हैं, जैसे दोनों लिखित संविधान हैं, और लोगों के मूलभूत अधिकार की बात करते हैं. First Updated : Friday, 08 December 2023