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पहलगाम हमला: एक परिवार की दर्दनाक दास्तां और स्थानीय लोगों की मानवता

पहलगाम आतंकी हमले ने सभी देशवासियों को झकझोर दिया. इस हमले के बाद पीड़ितों में से एक शैलेश कलाथिया की पत्नी शीतल ने उस दर्दनाक घटना की जानकारी दी.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

हृदय विदारक पहलगाम आतंकी हमले के दो दिन बाद पीड़ितों में से एक शैलेश कलाथिया की पत्नी शीतल कलाथिया ने उस भयावह दिन की घटना को याद किया. उन्होंने बताया कि उनका परिवार बैसरन की पहाड़ियों पर मौजूद था. जैसे ही वे दोपहर का खाना खाने बैठे, गोलियों की आवाज़ गूंज उठी.

शीतल ने साझा किया दर्द

शीतल ने बताया कि पहले एक गोली चली, फिर दूसरी. उसके बाद अफरा-तफरी मच गई. आतंकियों ने सभी को घेर लिया और धर्म के आधार पर लोगों को अलग करने लगे. हम बस चुपचाप खड़े थे, प्रार्थना कर रहे थे कि वे चले जाएं. लेकिन सब कुछ पलक झपकते ही हो गया. मैंने लोगों को मरते देखा और कुछ कर भी नहीं सकी.

सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

शीतल इस घटना से बुरी तरह टूट चुकी हैं और उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ऐसा दृश्य उन्होंने केवल फिल्मों में देखा था, लेकिन अब उसे अपनी आंखों के सामने घटते देखना एक डरावना अनुभव था. शीतल ने पूछा कि अगर खतरा था, तो हमें वहां जाने क्यों दिया गया? शैलेश के बेटे नक्श ने बताया कि वे चार लोगों का परिवार था. पिता, मां, बहन और वह स्वयं.

सज्जाद अहमद भट ने दी जानकारी 

इस त्रासदी के बीच, पहलगाम के स्थानीय निवासी सज्जाद अहमद भट ने घायलों की मदद कर इंसानियत की मिसाल पेश की. उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्हें हमले की खबर मिली, वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. हमने घायलों को पानी पिलाया, कुछ को अस्पताल पहुंचाया. सज्जाद ने कहा कि हमारे लिए मेहमान भगवान समान हैं. उनकी मदद करना हमारा फर्ज है. 

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24 April 2025, 03:57 PM IST

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