आतिशी के उपनाम 'मार्लेना' के पीछे है दिलचस्प कहानी, मार्क्स-लेनिन का है संयोजन
Atishi Marlena Delhi CM: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी ने आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना है. आतिशी को केजरीवाल की भरोसेमंद महिला मंत्री माना जाता है. उनके पास सरकार में सबसे अहम और सबसे ज्यादा मंत्रालय हैं. उनके पास ऑक्सफोर्ड की डिग्री है. लेकिन क्या आपको पता हैं अतिशि के नाम में उपनाम भी है जिसका वो इस्तेमाल नहीं करतीं हैं.
Atishi Marlena Delhi CM: दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी आतिशी को सौंपी गई है. बैठक में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा और उनके नाम पर मुहर लग गई है. सभी विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव को स्वीकार किया. आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस पद पर काबिज हो चुकी हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे आतिशी का नाम चल रहा था.
आतिशी को अरविंद केजरीवाल की सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से एक माना जाता है. यही वजह है कि जब मुख्यमंत्री के जेल में रहते 15 अगस्त को झंडा फहराने का मौका आया तो अरविंद केजरीवाल ने जेल से दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए अपनी तरफ से आतिशी का नाम भेजा था. लेकिन इन सब चीजों के बीच आपको पता है कि अतिशी का नाम के बाद उपनाम भी है, जो काफी कम ही लोगों को पता है. आइए जानते हैं.
अतिशी का जीवन परिचय
आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय सिंह और त्रिप्ता वाही के घर पंजाबी पृष्ठभूमि के परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता ने उन्हें मध्य नाम 'मार्लेना' दिया था. उनकी पार्टी के अनुसार, ये नाम मार्क्स और लेनिन का एक संयोजन है. 2018 में, राष्ट्रीय चुनावों से ठीक पहले, उन्होंने अपने नाम के रूप में "आतिशी" का इस्तेमाल करना चुना था.
क्यों हटाया अपना उपनाम?
आतिशी के नाम के बारे में बताएं तो उनके उपनाम को हटाने के पीछे भी खास वजह है क्योंकि वो चाहती थीं कि लोग उनके वंश के बजाय उनके काम पर ध्यान केंद्रित करें. जिसकी वजह से वो अपना पूरा नाम इस्तेमाल नहीं करती हैं. अतिशी शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी से जुड़ी हैं, सोशल मीडिया पर अपने बयानों को लेकर वो चर्चा में बनीं रहती हैं.
राजनितिक करियर क्या रहा?
दिल्ली कि मुख्यमंत्री अतिशी जनवरी 2013 में AAP के लिए नीति निर्माण में शामिल हो गईं, जिसकी जड़ें उस आंदोलन में हैं. साल 2015 में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जल सत्याग्रह से निकटता से जुड़ी थीं और ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान अभियान का नेतृत्व करने वाले आप नेता और कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल को समर्थन प्रदान किया . साथ ही साथ कानूनी लड़ाई के दौरान भी 2020 के चुनावों के बाद, उन्हें गोवा इकाई के लिए आप का प्रभारी बनाया गया.
2019 लोकसभा चुनाव
आतिशी को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए पूर्वी दिल्ली का लोकसभा प्रभारी नियुक्त किया गया था . उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में आप पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था वह भाजपा के उम्मीदवार गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गईं और तीसरे स्थान पर रहीं.