इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले की नहीं होगी SIT जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले पर बड़ा फैसला सुनाते हुए एसआईटी से जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. ऐसे में अब इलेक्टोरल बॉन्ड में कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की एसआईटी जांच नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती थी, और एसबीआई को तुरंत चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करने का आदेश दिया था.
Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी शुक्रवार को चुनावी बांड के दुरुपयोग की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इस दौरान अब चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड ) में कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की एसआईटी जांच नहीं होगी. कोर्ट ने अपने फैसले में साफ शब्दों में कहा कि हमारा मानना है कि केवल एसआईटी ही समाधान नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती थी, और एसबीआई को तुरंत चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करने का आदेश दिया था.
सुनवाई के दौरान क्या बोला कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि एक एसआईटी इस मामले में क्या जांच करती है? इसके जवाब में वकील प्रशांत भूषण मे कहा कि क्या कोई लेन-देन हुआ था और इसमें कौन शामिल था?'इसपर सीजेआई ने कहा कि यह एक खुली जांच होगी. इस बीच भूषण ने खरीदे गए बांडों के खुलासे पर लिखित दलील दी. जिस पर सीजेआई ने कहा कि क्या हम कानून के तहत उपाय उपलब्ध होने पर कोर्ट एसआईटी नियुक्त करते हैं?
क्या थी SIT जांच की मांग वाली याचिका?
SIT जांच की मांग वाली याचिका की बात कारें तो इसमें ये आरोप लगाया गया था कि चुनावी बॉन्ड मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला शामिल है, जिसका खुलासा केवल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच के जरिए ही किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि इस मामले की जांच में न केवल प्रत्येक मामले में पूरी साजिश को उजागर करने की जरूरत होगी, जिसमें कंपनी के अधिकारी, सरकार के अधिकारी और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी शामिल होंगे, बल्कि ईडी/आईटी और सीबीआई आदि जैसी एजेंसियों के संबंधित अधिकारी भी शामिल होंगे, जो इस साजिश का हिस्सा प्रतीत होते हैं.