VHP-Bajrang Dal Protest: AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा में सांसद के तौर पर शपथ लेने के दौरान जो टिप्पणी की, उससे घमासान खड़ा हो गया है. सांसद के तौर पर शपथ लेने के बाद ओवैसी ने फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता जताई थी, जिसकी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी है. हैदराबाद से पांच बार सांसद रहे ओवैसी ने शपथ लेने के बाद जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया था.
इस बीच अब विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल ने ओवैसी को अपने निशाने पर लिया है. दोनों संगठनों ने ओवैसी के संसद में शपथ ग्रहण के दौरान जय फिलिस्तीन' का नारा लगाने पर विरोध प्रदर्शन किया है. जिसका एक वीडियो सामने आया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सदस्यों ने संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 'जय फिलिस्तीन' के नारे लगाने को लेकर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है.
इस बीच बिगड़ते हालात को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर पहले ही बैरिकेडिंग के इंतजाम कर दिए थे वायरल हो रहे वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वीएचपी और बजरंग दल के सदस्यों को बैरिकेडिंग के ऊपर चढ़कर नारेबाजी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. उनके हाथों में ओवैसी की आपत्तिजनक तस्वीरें हैं. ऐसे में विरोध प्रदर्शन में शामिल एक शख्स ने अपने हाथ में एक पोस्टर लिया हुआ है, जिस पर लिखा है, "संसद की मर्यादा तोड़े ऐसे सांसद, नहीं चाहिए, नहीं चाहिए." इस दौरान दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों को घटनास्थल से हटाते हुए नजर आ रही है.
25 जून को लोकसभा संसद सदस्य के तौर पर जब ओवैसी को शपथ के लिए बुलाया गया तो पहले उन्होंने कुरानी आयत पढ़ी और फिर बिस्मिल्लाह पढ़ी. इसके वो अल्लाह के नाम से शपथ लेते हैं. आखिर में वो कहते हैं,"जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन, तकबीर अल्लाहु अकबर. हालांकि, ओवैसी ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनके शब्दों को लेकर 'खोखली धमकियां' उन्हें डरा नहीं पाएंगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ओवैसी ने कहा, "उन्हें जो करना है करने दीजिए. मैं भी संविधान के बारे में थोड़ा-बहुत जानता हूं. ये खोखली धमकियां मुझ पर काम नहीं करेंगी." इससे पहले ओवैसी ने संसद में 'जय फिलिस्तीन' के नारे का बचाव करते हुए कहा था कि भारत के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो कहता हो कि उनकी टिप्पणी निंदनीय है. यह तब हुआ जब कुछ राजनीतिक नेताओं ने सुझाव दिया कि उनकी टिप्पणी के लिए उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए.
First Updated : Sunday, 30 June 2024