नॉलेज : देश के इस सबसे बड़े उद्योगपति ने एक के बाद एक की 6 शादियां, फिर समय बदला और राजा से फकीर हो गया

साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तब देश में एक बड़े उद्योगपति हुआ करते थे, जो आज भी धनाड्यता का प्रतीक हैं. वो जितने बड़े अमीर थे उतने बड़े दिल फेंक भी. उन्हें एक बार मिलने पर ही लड़कियों से प्यार हो जाता था. उन्होंने अपने जीवन में 6 शादियां कीं.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

भारत जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तब देश के सबसे बड़े उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया थे. डालमिया सेल्फ मेड शख्सियत थे, जो राजस्थान से खाली जेब ही कोलकाता गए थे. फिर यहां छोटी-मोटी नौकरियां कीं. दलाली का काम भी किया, जिसके चलते एक समय लोगों ने उन पर भरोसा करना छोड़ दिया. पैसे की कंगाली थी, लेकिन किस्मत बदली और कुदरत ने साथ दिया तो वह आगे बढ़ते चले गए और देश का सबसे बड़ा औद्योगिक साम्राज्य खड़ा किया. इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से ऐसी ठनी कि वो बर्बाद होने लगे. कहानी आगे भी लेकिन यह बता दें कि डालमिया का नाम आज भी देश में धनाढ्यता का प्रतीक है. 

कहां पैदा हुए थे रामकृषण डालमिया?

रामकृष्ण डालमिया का जन्म 07 अप्रैल 1893 में राजस्थान के चिड़ावा कस्बे में हुआ था. उनके पिता नौकरी के लिए परिवार को लेकर कोलकाता चले गए थे. यहां वो मुनीमी की नौकरी करते रहे. उनके बड़े बेटे रामकृष्ण बहुत तेज दिमाग और याददाश्त वाले थे. गणितीय क्षमता तो जबरदस्त थी. बचपन से ही उन्होंने छोटा-मोटा काम शुरू कर दिया था. रामकृष्ण डालमिया की बेटी नीलिमा डालमिया अधर की किताब “फादर डियरेस्ट-द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ आरके डालमिया” में काफी कुछ विस्तार से लिखा है.

सट्टा बाजार की लत ने साख गिरा दी 

डालमिया शुरुआती दौर में सट्टा बाजार में पैसा लगाते थे. इसमें उन्हें बदनामी मिली और वहीं लोगों का भरोसा भी खोया. तब ये हालत हो गई कि कोई भी उनके साथ पैसों का लेन-देन पसंद नहीं करता था. लोगों ने उधार देना बंद कर दिया. एक बार उन्होंने पिता के वो 500 रुपए चुराए, जो उस फर्म के थे, जहां वो काम करते थे. हालांकि बाद में ये पैसा उन्होंने फर्म के मालिक को दोगुना लौटाया. ऐसे समय में जब किस्मत उन्हें हर ओर से दगा दे चुकी थी. वो ज्यादातर कामों में नाकामी देख चुके थे. तमाम लोगों का हजारों रुपया कर्ज के तौर पर चढ़ा था. तब एक पंडित जी ने उनका हाथ देखकर कहा, “तुम अगले एक हफ्ते में अमीर हो जाओगे, तुम्हारे हाथों में 1.5 लाख रुपए होंगे. यह हैरान करने वाली बात थी. डालमिया को इस बात पर भरोसा नहीं हुआ. इसके बाद अचानक चांदी के दाम बढ़ने लगे. उन्होंने लंदन में चांदी की 04 फर्मों में जान-पहचान का फायदा उठाते हुए हजारों रुपए की चांदी बुक करानी शुरू की. हालांकि तब भी उनकी जेब में पैसे नहीं थे. लेकिन इसे ही किस्मत कहते हैं.

 

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.

 

चांदी के बढ़े दामों ने वारा-न्यारा कर दिया

ब चांदी के दाम बढ़े ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा बढ़ गए. देखते ही देखते वाकई एक हफ्ते में उन्होंने डेढ़ लाख रुपए कमा लिया. इतना ज्यादा धन हाथ में आया तो सबका उधार चुका दिया. इसके बाद भी उनके पास काफी सारे रुपये थे. इसके बाद कोलकाता में व्यापारियों के बीच ऐसे शख्स बनकर उभरे, जो केवल विश्वसनीय ही नहीं बल्कि उसकी चतुराई और व्यापारिक बुद्धि की भी धाक जम चुकी थी. इसी बीच चांदी को लेकर जब ब्रिटिश सरकार ने 20 के दशक में अपने नियम बदले, तब तो डालमिया की किस्मत ऐसी बदली कि बहुत अमीर इंसान बन गए. 

घर-घर में पहुंच गया डालमिया का नाम

देश 20 लेकर 40 के दशक के बीच डालमिया इंडस्ट्री का तेजी से विस्तार हुआ. देश के हर कोने में उनके कारखाने और आफिस खुलने लगे. डालमिया इंडस्ट्री बीमा, बैंकिंग, मीडिया, केमिकल, एविएशन, आयरन, सीमेंट, वस्त्र उद्योग और खाद्य पदार्थ समेत तमाम क्षेत्रों में काम करने लगी थी.

जिन्ना के अच्छे दोस्त थे डालमिया

डालमिया की दोस्ती कांग्रेस के बडे नेताओं से थी. गांधी जी से भी मिलते जुलते रहते थे. लेकिन उनके सबसे गहरे दोस्त पाकिस्तान के संस्थापक और मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे. जिन्ना और डालमिया में ढेर सारी विभिन्नताएं थीं लेकिन इसके बाद भी दोनों आपस में गहरे दोस्त थे. जिन्ना ने अगस्त 1947 के दूसरे हफ्ते में हमेशा भारत छोड़ा दिया और नई दिल्ली का अपना लंबा चौड़ा 10, औरंगजेब रोड (अब कलाम रोड) स्थित बंगला डालमिया को बेच दिया. 

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
हवाई जहाज की सवारी के दौरान डालमिया.


डालमिया ने जीवन में 06 शादियां कीं

डालमिया ने अपने जीवन में एक-दो नहीं बल्कि छह शादियां कीं. जिस समय डालमिया ने एक के बाद एक छह शादियां रचाईं, उस समय ऐसा करने के बारे कोई सोच भी नहीं सकता था. तब भी डालमिया ने इन बातों की परवाह नहीं की. नीलिमा डालमिया अधर ने अपनी किताब “फादर डियरेस्टः द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ आर के डालमिया” में उनकी शादियों और कई रोमांस के बारे में लिखा है. वह लिखती हैं कि उनके पिता खुद को किसी राजा से कम नहीं समझते थे, लिहाजा वो राज की तरह जीते थे. 

पहली शादी बहुत कम उम्र में हुई

डालमिया की पहली शादी बहुत कम उम्र में हुई थी. पहली पत्नी नर्मदा की उम्र महज 12 साल थी. लेकिन 2-3 तीन साल में ही उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद उनकी मां ने दूसरी शादी दुर्गा से की. लोगों को लगा अब रामकृष्ण दुर्गा के साथ जिंदगी भर खुश रहेंगे. लेकिन किसे मालूम था कि वह अपने जीवन में शादियों का रिकार्ड ही बना देंगे.

फिर पंजाबी युवती प्रीतम से हुआ प्यार

दूसरी शादी के कुछ ही सालों बाद ही उनका दिल एक पंजाबी युवती प्रीतम पर आ गया. इसके बाद उन्होंने गुपचुप तरीके से शादी भी कर डाली. जब उन्होंने इसके बारे में दूसरी पत्नी दुर्गा और परिवार को बताया तो खूब विरोध हुआ लेकिन डालमिया कहां टस से मस होने वाले थे. डालमिया ने उन्हें दिल्ली में रहने के लिए अलग बड़ा सा घर दिया. जल्दी ही ये प्यार खत्म हो गया.

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
पत्नी और परिवार के साथ डालमिया. 


फिर दो और गुप्त शादियां कर डाली

इसके बाद भी डालमिया ने जल्दी-जल्दी दो और शादियां कीं. नई बीवियों के नाम थे सरस्वती और आशा. आशा बंगाली थीं. ये दोनों शादियां गुप्त तरीके से हुईं.

फिर युवा कवियित्री से हो गया प्यार 

डालमिया यहीं नहीं रुके. उन्हें एक और युवती पसंद आ गईं. वह राजस्थान की उभरती हुई कवियित्री थीं. नाम था दिनेश नंदिनी. डालमिया संस्थान से ही मिलने वाले सक्सेरिया प्राइज से दिनेश नंदिनी की किताब को पुरस्कृत किया गया. डालमिया ने पुरस्कार समारोह में उन्हें पहली बार देखा और पसंद कर लिया.

दो साल तक शादी के लिए मनाते रहे

दो साल तक इन दोनों के बीच प्रेम-पत्र लिखे जाते रहे. डालमिया उन्हें बार-बार शादी के लिए मनाते रहे. आखिरकार दो साल बद वह मान गईं, लेकिन एक शर्त पर कि इसके बाद वह शादी नहीं करेंगे. नीलिमा डालमिया कहती हैं, ये शादी भी गुप्त तरीके से बनारस में की गई. शादी के बाद डालमिया ने उन्हें दिल्ली में एक बड़ा घर दिया. 

छठी शादी का विरोध

जब ये छठी शादी हुई तो इसका खासा विरोध हुआ. डालमिया के बच्चे काफी बड़े हो रहे थे. उनके भाई और मां ने भी इस पर काफी इतराज किया. लेकिन शादी तो हो चुकी थी.

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
नीलिमा डालमिया ने अपने पिता पर लिखी किताब.

 

अंग्रेज युवती पर फिर आ गया दिल 

डालमिया जी ने छठवीं शादी के बाद वन वर्ल्ड मूवमेंट शुरू किया. इसके लिए वह अपने प्राइवेट विमान से कई देशों में गए. छठीं पत्नी दिनेश नंदिनी के साथ वह अमेरिका गए. वहां उनका दिल एक अंग्रेज युवती पर आ गया. अपनी किताब में नीलिमा लिखती हैं कि अमेरिका में उनके पिता का दिल एक अंग्रेज युवती पर आ गया. लेकिन बाद में किसी तरह से उस मामले को खत्म किया गया और दोनों दूर हो गए. 

फातिमा जिन्ना से भी नजदीकियों के हैं चर्चे?

डालमिया को लेकर चर्चाएं यह भी हैं कि उनके रिश्ते मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना से भी थे. नीलिमा याद करती हैं कि उनकी मां दिनेश नंदिनी अक्सर कहा करती थीं, तुम्हारे पिता की नजदीकियां फातिमा के साथ थीं, क्योंकि वह अक्सर उनके साथ रहते थे. फातिमा जिन्ना अकेले ही रहती थीं. हालांकि नीलिमा को संदेह है कि उनके पिता के रिश्ते जिन्ना की बहन से रहे होंगे. इसमें कोई शक नहीं कि जिन्ना और उनकी बहन के साथ जितने अच्छे रिश्ते डालमिया से थे, उतने शायद ही किसी से रहे हों.

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
डिजाइन फोटो.


नेहरू से विवाद हुआ और खराब दिन शुरू हो गए

साल 1947 में आजादी के बाद उनके दिन बदलने लगे. परिवार में बंटवारा हो गए. प्रधानमंत्री नेहरू से खराब रिश्तों का नतीजा भी उन्हें भुगतना पड़ा. वो तीन साल के लिए जेल भी गए. जब वह लौटे तो उनके लिए स्थितियां बदल चुकी थीं. वह दोबारा फिर अपना वो रुतबा और आर्थिक मजूबती हासिल नहीं कर पाए. 1978 में 85 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.

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30 January 2024, 05:37 PM IST

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