पटियाला के सातवें महाराज भूपिंदर सिंह अपने समय के सबसे शक्तिशाली शासकों में गिने जाते थे. उनकी शादी और हरम की चर्चा दूर-दूर तक होती थी. भूपिंदर सिंह के पास कई रानियां थीं और वह हर साल 365 दिन अलग-अलग रानियों के साथ संबंध बनाते थे. उन्होंने एक तरीका अपनाया था, जिसमें हर रानी के नाम की एक लालटेन जलायी जाती थी. जो लालटेन पहले बुझती, उस रात उस रानी के साथ वह संबंध बनाते थे.

महाराज भूपिंदर सिंह के 88 बच्चे थे. उनकी जीवनशैली और अय्याशियों के बारे में कई किताबों में लिखा गया है. डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में कहा गया है कि वह चाय पीते समय दो मुर्गे खा जाते थे और दिन में करीब 10 किलो खाना खाते थे. उन्होंने अपने हरम की महिलाओं के शरीर में बदलाव करवाए थे. इसके लिए उन्होंने फ्रांसीसी, अंग्रेज और भारतीय सर्जनों को महल में रखा था.

राजा भूपिंदर सिंह के हरम की रहस्यमयी कहानी

महाराज भूपिंदर सिंह हमेशा कामवासना में लिप्त रहते थे. उनके कमरे की दीवारों पर कामोत्तेजक चित्र बने होते थे, जिनसे वह प्रेरणा लेते थे. शारीरिक रूप से मजबूत होने के बावजूद, वह कामोत्तेजक दवाइयों का भी इस्तेमाल करते थे. कहा जाता है कि कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए वह गौरेया का सिर काटकर खा जाते थे.

88 बच्चों के पिता थे महाराज

महाराज भूपिंदर सिंह के पास प्राइवेट प्लेन था, और वह उससे सफर करते थे. उनके पास शानदार कारों का भी कलेक्शन था, जिसमें 44 रोल्स रॉयस कारें थीं. वह 1001 नीले और सफेद हीरे के पटियाला हार के मालिक थे. उन्हें खाने का बहुत शौक था, और वह एक बार में 40-50 बोनलेस चिकन खा जाते थे. हालांकि, वह कामवासना में लिप्त रहने के कारण खेलों से दूर हो गए थे.