राजस्थान का यह मुस्लिम विधायक मंदिरों की बेहतरी के लिए आवाज उठाकर बटोर रहा सुर्खियां
कभी भाजपा नेता रहे खान दो बार राजस्थान के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वहीं तीन बार से विधायक भी चले आ रहे हैं। साल 2023 में भाजपा का टिकट न मिलने से नाराज होकर उन्होने त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह डीडावान से आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और विजय पताका फहराने में सफल रहे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के चेतन सिंह चौधरी को शिकस्त दी थी।

राजस्थान के डीडवान से निर्दलीय मुस्लिम विधायक यूनुस खान इन दिनों चर्चा में हैं। मंदिरों और वैदिक शिक्षा के लिए विधानसभा में कई बार आवाज उठा चुके खान लगातार मंदिरों की बेहतरी के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनके प्रयासों की जहां काफी सराहना की जा रही है, वहीं इसके कारण वह सुर्खियां भी बटोर रहे हैं। कभी भाजपा नेता रहे खान दो बार राजस्थान के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वहीं तीन बार से विधायक भी चले आ रहे हैं। साल 2023 में भाजपा का टिकट न मिलने से नाराज होकर उन्होने त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह डीडावान से आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और विजय पताका फहराने में सफल रहे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के चेतन सिंह चौधरी को बुरी तरह से शिकस्त दी थी।
बजट सत्र में उठाया मुद्दा
खान ने 31 जनवरी को शुरू हुए विधानसभा के बजट सत्र में मंदिरों की बेहतरी और वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने का लगातार मुद्दा उठाया। काबिले गौर रहे कि उन्हें राजस्थान की पूर्न सीएम वसुंधरा राजे का बेहद करीबी माना जाता है। वह अब तक उक्त दोनों मुद्दों को लेकर विधानसभा के सत्र के दौरान सात प्रश्न उठा चुके हैं, जिसे लेकर वह चर्चा में आ गए हैं।
सभी वर्गों पर अच्छी पकड़
खान की सभी वर्गों पर अच्छी पकड़ बताई जाती है। जहां उनकी अपने समुदाय में खासी पकड़ है, वहीं वह लगातार हिंदुओं में भी लोकप्रिय होते जा रहे हैं। खान को पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते समय किए गए विकास कार्यों का भी चुनाव के दौरान काफी लाभ मिला था। कुछ समय पहले पत्रकारों के साथ बातचीत में वह वैदिक शिक्षकों के मानदेय और पुजारियों को मिलने वाली सम्मान राशि को लेकर अपनी पीठ थपथपाते नजर आए थे। उनका दावा है कि उनकी तरफ से मुद्दा उठाए जाने के बाद सरकार ने इस मामले में कुछ किया है।