Tamil Nadu: सीबाआई ने एक शातिर ठग को 20 साल बाद गिरफ्तार किया है. दरअसल बैंक धोखाधड़ी के एक आरोपी को रविवार को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. वह दो 20 साल पहले 50 लाख रुपये लेकर गायब हो गया था और स्थानीय अदालत ने उसे मृत घोषित कर दिया था. उसे एक लंबी कार्रवाई के बाद गिरफ्तार किया गया. आरोपी को जब तमिलनाडु के एक गांव से पकड़ा गया तो उसने साधु का वेश धारण कर रखा था. लेकिन यह उन कई पहचानों में से एक थी जो उसने सालों तक बनाए रखीं और सीबीआई के जासूसों को उलझाए रखने के लिए पूरे देश में घूमता रहा.
यह सब 1 मई, 2002 को शुरू हुआ जब सीबीआई ने वी चलपति राव के खिलाफ मामला दर्ज किया. राव उस समय हैदराबाद में एसबीआई की चंदूलाल बारादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करता था. उस पर बैंक से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था. उसने इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानों से जाली कोटेशन और अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर बनाए गए फर्जी वेतन प्रमाणपत्रों का यूज कर पैसे की ठगी किया करता था. सीबीआई ने दिसंबर 2004 में मामले में दो आरोपपत्र दाखिल किए थे जिसके बाद राव लापता हो गए थे.
धोखाधड़ी के मामले में आरोपी की पत्नी ने 10 जुलाई 2004 को कमाटीपुरा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पति लापता हैं. 2011 में, उसने अपने पति को मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की क्योंकि वह सात साल से लापता था. कोर्ट ने उसे मृत घोषित करने का आदेश जारी किया था. लेकिन मुख्य आरोपी फरार था , इसलिए उसके खिलाफ मामला अलग कर दिया गया और कार्यवाही पूरी होने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया.
सीबीआई मामले में अप्रैल 2013 में अपराधी घोषित किया गया. धोखाधड़ी के मामले में राव की संपत्ति कुर्क करने के प्रयासों के खिलाफ पत्नी ने तेलंगाना उच्च न्यायालय से स्थगन भी प्राप्त किया. सीबीआई के एकत्र की गई जानकारी के अनुसार, राव तमिलनाडु के सेलम भाग गया और अपना नाम बदलकर एम विनीत कुमार रखने के बाद 2007 में दूसरी महिला से शादी कर ली. उसने उस नाम से आधार नंबर भी ले लिया.
उसकी दूसरी पत्नी के जरिए सीबीआई अधिकारियों को पता चला कि राव यहां रहने के दौरान अपनी पहली शादी से हुए बेटे के संपर्क में था. 2014 में, उसने किसी को बताए बिना सलेम छोड़ दिया और भोपाल चला गया, जहां उसने ऋण वसूली एजेंट के रूप में काम किया. इसके बाद वह उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया जहां उसने एक स्कूल में काम किया.
जब सीबीआई की टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि राव 2016 में वहां से भाग गया था. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि एम विनीत कुमार के नाम से ईमेल आईडी और आधार विवरण की मदद से सीबीआई ने गूगल के कानून प्रवर्तन विभाग से संपर्क किया. इन विवरणों से पता चला कि राव औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में गया था. उसने अपना नाम बदलकर स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ रख लिया था और दूसरा आधार कार्ड बनवा लिया था. लेकिन दिसंबर 2021 में उसने कथित तौर पर आश्रम के प्रबंधकों से 70 लाख रुपये की ठगी करने के बाद आश्रम छोड़ दिया.
इसके बाद, राव राजस्थान के भरतपुर चला गया और 8 जुलाई, 2024 तक वहीं रह रहा था. इसके बाद उसने भरतपुर छोड़ दिया और अपने एक शिष्य के पास रहने के लिए तिरुनेलवेली पहुंच गया. इस दौरान उसने करीब 10 बार संपर्क नंबर बदले. सीबीआई को जब जानकारी मिली कि आरोपी समुद्र के रास्ते श्रीलंका भागने की योजना बना रहा. तब अधिकारियों ने आखिरकार उसका पता लगा लिया और रविवार को तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से उसे गिरफ्तार कर लिया.
First Updated : Tuesday, 06 August 2024