आलोक जैसे हजारों को 498-A का डर... कैसी है ये धारा जो पति सहित पूरे परिवार को तबाह कर देती है ?
कानून की ये धारा महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए उनके पास एक प्रबल हथियार की तरह काम करती है.
घरेलू हिंसा में अधिकतर प्रयोग होने वाली भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498-A को प्रावधान में इस लिए लाया गया था कि ससुराल में महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का शोषण न हो सके. कानून की ये धारा महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए उनके पास एक प्रबल हथियार की तरह काम करती है. लेकिन इन दिनों जिस प्रकार से लगातार इसका दुरुपयोग बढ़ा है वह चिंता जनक है.
इसकी चर्चा क्यों ?
आखिर क्या है ये 498-A ?
भारतीय दंड संहिता की एक ऐसी धारा जिसके तहत महिलाओं के साथ ससुराल में होने वाली हिंसा से उन्हें न्याय मिलता है. विवाहित महिलाएं किसी भी प्रकार की प्रताड़ना से ससुराल में बचने के लिए इसे अस्त्र की तरह प्रयोग कर सकती हैं. दहेज उत्पीड़न के मामले में भी इसे प्रयोग किया जाता है हालांकि धारा 498 ए में दहेज शब्द बिल्कुल भी शामिल नहीं है. दहेज के लिए अलग से 20अ को प्रस्तावित किया गया है.
होता है गलत उपयोग ?
कई बार ऐसा देखा गया है कि महिलाएं इस धारा का गलत तरीके से उपयोग करती हैं. महिलाओँ को इस बात की धमकी देते हुए भी पाया जा सकता है कि ससुराल में अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे ससुराल वालों के खिलाफ 498ए के तहत मुकदमा दर्ज करा देंगी.
बढ़ रहा इसका प्रयोग
हमारे देश में साल दर साल ऐसे मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. मीडिया रपोर्टस कहती हैं कि महिलाओं के द्वारा जितने मामले दर्ज कराए जाते हैं उनमें से 30 प्रतिशत 498ए के तहत होते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में धारा 498A के तहत देशभर में 1.36 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे.
हम ये तो नहीं कह सकते कि इनमें कितने मामले सही या गलत होते हैं लेकिन ये स्पष्ट है कि इस मामले में कन्विक्शन रेट सिर्फ 100 में से 17 का है जिनमें दोषी को सजा मिलती है.