राज्यसभा में तीन आपराधिक विधेयक पारित, शाह बोले- तारीख पे तारीख का जमाना होगा खत्म
गुरुवार को राज्यसभा में तीनों क्रिमिनल लॉ बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल गुरुवार को पास हो गए. अब इन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
Rajya Sabha Passes Three Criminal Bills: गुरुवार को राज्यसभा में तीनों क्रिमिनल लॉ बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल पास हो गए. अब इन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उनकी मंजूरी मिलते ही ये तीनों बिल कानून बन जाएंगे. बिल पास होते ही राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम जैसे औपनिवेशिक कानूनों की जगह इसे "एक नए युग की शुरुआत" बताया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीयों को उनके मानवाधिकारों की रक्षा करके समयबद्ध न्याय प्रदान करना है.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राष्ट्र के खिलाफ अपराधों को प्रमुखता देते हुए इन तीन विधेयकों को ध्वनि मत से पारित किया गया. वाईएसआरसीपी, बीजेडी, टीडीपी, एआईएडीएमके, टीएमसी (एम), और यूपीपी (एल) नेताओं ने तीन विधेयकों का समर्थन करते हुए बहस में भाग लिया, जिनमें से कई ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी शीर्षक रखने के सुझाव भी दिए. हालाँकि, बुधवार को जब लोकसभा में तीन विधेयक पारित किए गए, तो अधिकांश विपक्षी सदस्य बहस में शामिल नहीं हुए.
भारतीय दंड संहिता (IPC) को भारतीय न्याय संहिता से, सीआरपीसी को नागरिक सुरक्षा संहिता से और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदल दिया गया है. भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी. विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और उनमें से 33 के लिए कारावास की सजा बढ़ा दी गई है. 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का दंड पेश किया गया है और 19 धाराओं को विधेयक से निरस्त या हटा दिया गया है.
"Congratulations to all Bharatwasis on this proud moment as our nation finally gets its criminal justice laws. It is a matter of great pride that the three bills passed in Parliament today will replace the laws once promulgated by the British and will shape an indigenous criminal… pic.twitter.com/Q6KlZWU0Db
— ANI (@ANI) December 21, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. बिल में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं और इसमें नौ नई धाराओं के साथ ही 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं. मसौदा अधिनियम में 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 35 अनुभागों में समय-सीमा जोड़ी गई है और 35 स्थानों पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है. बिल से कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं.