जस्टिस वर्मा के घर पहुंचे तीन जज, जले हुए नोटों की जांच जारी
दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर आग लगने के दौरान मिले अधजले नोटों के मामले की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंची और 45 मिनट तक वहां रही. इससे पहले, सीजेआई संजीव खन्ना ने जांच टीम के तीनों जजों को चिट्ठियां भेजी थीं. कमेटी के सदस्यों ने बताया कि जांच किस तरीके से और किन नियमों के तहत होगी, यह निर्णय वे खुद लेंगे. जांच के बाद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

दिल्ली हाई कोर्ट के जज, जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने के दौरान मिले अधजले नोट के मामले में एक तीन जजों की कमेटी जांच करने के लिए उनके घर गई. कमेटी लगभग 45 मिनट तक वहां रुकी और उन जजों ने उस कमरे में भी जाकर देखा, जहां जले हुए नोट मिले थे. जांच का तरीका और नियम कमेटी खुद तय करेगी.
जानकारी के मुताबिक, कमेटी अब जस्टिस वर्मा के घर से निकल चुकी है. इस जांच टीम में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थे. ये टीम उस कमरे में गई जहां आग लगी थी. कमेटी जस्टिस वर्मा के घर पर 45 मिनट तक रही.
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी किया जाएगा, लेकिन वो वहां न्यायिक काम नहीं कर पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जस्टिस वर्मा पर की जा रही कार्रवाई सिर्फ उनके ट्रांसफर तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इस घटना के दूरगामी असर होंगे.
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर और उनके खिलाफ जांच अलग-अलग हैं. जजों के ट्रांसफर का निर्णय कॉलेजियम करता है, जबकि इन हाउस इंक्वायरी में CJI की भूमिका होती है. CJI संबंधित हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगता है.
दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज
जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज हैं और कॉलेजियम का हिस्सा भी हैं. चूंकि यह घटना दिल्ली में हुई, इसलिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की है.