तिरुपति लड्डू विवाद पर SC का फैसला, CBI की निगरानी में SIT से जांच कराने का दिया आदेश
Tirupati Laddu controversy: तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सीबीआई, राज्य पुलिस और खाद्य सुरक्षा निकाय की टीम को जांच करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपों से दुनिया भर के लोगों की भावनाएं आहत होने की संभावना है.
Tirupati Laddu controversy: तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई, राज्य पुलिस और खाद्य सुरक्षा निकाय की टीम को जांच करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा इन आरोपों का जांच करेगी. नई जांच टीम में सीबीआई, राज्य पुलिस और एफएसएसएआई के सदस्य शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि आरोपों से दुनिया भर के लोगों की भावनाएं आहत होने की संभावना है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा उन आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि पिछली आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति लड्डू तैयार करने के लिए पशु वसा युक्त घटिया घी का इस्तेमाल किया था.
CBI की निगरानी में होगी तिरुपति लड्डू विवाद की जांच
एसआईटी की टीम के साथ दो राज्य पुलिस अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का एक सदस्य भी शामिल होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपों से दुनिया भर के लोगों की भावनाएं आहत होने की संभावना है, इसलिए एसआईटी जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक द्वारा की जाएगी. अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए, हम पाते हैं कि राज्य पुलिस, सीबीआई और एफएसएसएआई के प्रतिनिधियों वाली एक स्वतंत्र एसआईटी द्वारा जांच की जानी चाहिए.'
आस्था को लेकर SC ने जारी किया आदेश
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर के करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं को शांत करने के लिए यह आदेश पारित कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश को राज्य एसआईटी के सदस्यों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. हमने समिति का गठन केवल भगवान में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए किया है.'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपों और प्रत्यारोपों के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि वह अदालत को 'राजनीतिक युद्धक्षेत्र' के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा.