Foundation Day of Congress : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की आज के दिन ही एक रिटायर्ड अंग्रेज अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम या एओ ह्यूम ने स्थापना की थी. आज ही के दिन 138 साल पहले कांग्रेस का जन्म हुआ था. एओ ह्यूम स्कॉटलैंड के एक रिटायर्ड अधिकारी थे. यह बात अगल है कि एओ ह्यूम को उनके जीते-जी कभी कांग्रेस के संस्थापक का दर्जा नहीं मिला. उनकी मौत के बाद 1912 में उन्हें कांग्रेस का संस्थापक घोषित किया गया.
अंग्रेजों ने कांग्रेस पार्टी की स्थापना क्यों की थी इसकी काहानी रोचक है. 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज नहीं चाहते थे कि देश में दोबारा से इस तरह के हालात बनें. इसलिए उन्होंने एक ऐसा मंच बनाने के लिए सोचा, जहां हिंदुस्तानी लोग अपने मन की बात रख सकें और अपना विरोध भी जता सकें. इस मंच का उद्देश्य पढ़े-लिखे भारतीयों के बीच सरकार की पकड़ को बढ़ाना था, जिससे ब्रिटिश राज और उनके बीच नागरिक और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत हो सके. इसके लिए एक अंग्रेज अफसर एओ ह्यूम को चुना गया. कांग्रेस पार्टी की स्थापना एक अंग्रेज ने की थी, लेकिन इसके अध्यक्ष भारतीय थे. पार्टी के पहले अध्यक्ष कलकत्ता हाईकोर्ट के बैरिस्टर व्योमेश चंद्र बनर्जी थे. पार्टी का पहला अधिवेशन पुणे में होना था, लेकिन उस वक्त वहां हैजा फैला था. इसके चलते इसे बंबई (अब मुंबई) में किया गया.
साल 1905 में बंगाल ब्रिटिश सरकार ने बंगाल का विभाजन कर दिया. इसके बाद कांग्रेस को नई पहचान मिली. कांग्रेस ने बंटवारे का खुलकर विरोध किया और अंग्रेजी सामानों का बहिष्कार किया. कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और इसमें फूट पड़ गई. कांग्रेस में दो धड़े बन गए, एक नरम दल और दूसरा गरम दल. गरम दल चाहता था कि आंदोलन बंगाल तक ही सीमित न रखा जाए, लेकिन नरम दल खुलकर अंग्रेजों की बगावत करने के खिलाफ था.
मोहनदास कमरचंद गांधी 1915 में साउथ अफ्रीका से भारत लौटे. 1919 में असहयोग आंदोलन से गांधी जी राजनीति में प्रवेश किया. उसके बाद तो कांग्रेस के मायने ही बदल गए और पार्टी का मतलब ही महात्मा गांधी हो गया. महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने देश को आजादी दिलाने के लिए कई अहिंसक आंदोलन किए. गांधी ने इस दल के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अहिंसक तरीके से लड़ाई लड़ी. गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों का हिस्सा रही, जिनमें सविनय अविज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन. आजादी से पहले कांग्रेस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस समय पार्टी के 1.5 करोड़ से ज्यादा सदस्य थे और 7 करोड़ से ज्यादा समर्थक.
कांग्रेस ने देश को छह प्रधानमंत्री दिए हैं. इनमें जवाहर लाल नेहरू 1947 से 1964, लाल बहादुर शास्त्री 1964 से 1966, इंदिरा गांधी 1966 से 1977 और 1980 से 1984, पीवी नरसिम्हा राव 1991 से 1996 तक और मनमोहन सिंह, 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे.
138 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अब तक 80 से ज्यादा अध्यक्ष रह चुके हैं. इनमें से 18 अध्यक्ष आजादी के बाद बने हैं. आजादी के बाद इन 73 सालों में से 38 साल नेहरू-गांधी परिवार ही पार्टी का अध्यक्ष रहा है, जबकि, 35 साल गैर नेहरू-गांधी परिवार ने कमान संभाली है.
138 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी ने आजाद भारत में 6 प्रधानमंत्रियों के जरिए सबसे ज्यादा 56 साल तक राज किया. आजादी के फौरन बाद देश की बागडोर कांग्रेस के हाथों में थी. उस समय संसद में औपचारिक तौर पर कोई विपक्ष और विपक्षी नेता नहीं था. उस समय जो कांग्रेस में नहीं थे उनको विपक्ष मान लिया गया. लेकिन 2014 में संसद के लोकसभा के चुनाव में संसद में लंबे समय से वर्चस्व रखने वाली कांग्रेस को केवल 44 सीटें मिलीं और कांग्रेस ने लोकसभा में विपक्ष का दर्जा भी खो दिया. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी विपक्ष के नेता की मान्यता के लिए जरूरी सदस्य संख्या नहीं जुटा पाई. यह बात अलग है कि देश में हुए पहले पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा. 1967 के चुनावों में नौ राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी कामयाब होती रही. इस बीच पंडित जवाहर लाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री रहे.
पार्टी को बड़ा झटका 1977 के लोकसभा चुनाव में लगा जब इमरजेंसी के विरोध में जनता लहर में कांग्रेस का उत्तर भारत से लगभग सफाया हो गया. हालांकि 1980 में कांग्रेस की वापसी हुई. 1984 तक इंदिरा गांधी और फिर 1989 तक राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहे. आगे 1991-96 में नरसिंह राव और 2004-14 की अवधि में डॉक्टर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए गठबंधन का शासन रहा. First Updated : Thursday, 28 December 2023