लड़की का प्राइवेट पार्ट छूना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना..., केस पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354B और पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर संज्ञान लेने से यह मामला अब और गंभीर हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के विवादित हिस्से पर सुनवाई शुरू की है, और अब पूरे देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं. 

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूने को रेप की कोशिश नहीं माना गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे खींचकर भागने का प्रयास करने को रेप या रेप की कोशिश के अपराध के अंतर्गत नहीं माना जाएगा. यह फैसला 17 मार्च 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दिया था, जिसके बाद पूरे देश में विवाद उठ गया था.

इस फैसले में कोर्ट ने यह कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट को पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ने के आरोपों के आधार पर रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता. हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि इन घटनाओं से महिला की गरिमा का उल्लंघन हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने कहा कि ये आरोप महिला के सम्मान पर हमला करने के मामले के तहत आते हैं, लेकिन रेप की कोशिश के अपराध में नहीं. 

फैसला आने के बाद मचा बवाल

यह फैसला जब मीडिया में आया, तो इसे लेकर देशभर में तीव्र विरोध हुआ. कई संगठनों और जनहित याचिकाओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और मंगलवार को सुनवाई की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगी. 

यह मामला न केवल न्यायिक प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मामलों में संवेदनशीलता को लेकर भी महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है.

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25 March 2025, 11:16 PM IST

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