Delhi Air Pollution :राजधानी दिल्ली पिछले पांच दिनों से स्मॉग की चादर में लिपटी है. प्रदूषित हवा में लोगों को सांस लेने में परेशानी के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. रविवार को भी दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण गंभीर स्तर पर दर्ज किया गया. वहीं सोमवार सुबह राजधानी का AQI 403 रहा. ऐसे में प्रदूषण से राहत की एकमात्र उम्मीद सोमवार को होने वाली बारिश पर टिकी है.
दिल्ली में प्रदूषण के बेहद खराब स्तर पर पहुंचने पर प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. वाहनों से प्रदूषण, खेतों में पराली जलाने, बायोमास को जलाने, माध्यमिक एयरोसोल, उद्योगों और वाहनों में जीवाश्म ईंधन के दहन से निकलने वाले धुआं के बारे में चर्चा हो रही है.
दिल्ली में 9 से 25 नवंबर तक, राउज़ एवेन्यू के पास एक सुपरसाइट पर इसको लेकर एक शोध किया गया. इसमें पता चला कि प्रदूषण फैलाने में सबसे अधिक परिवहन क्षेत्र का 30% का हिस्सा है. वहीं माध्यमिक एरोसोल का 30.88% हिस्सा है. इस अध्ययन में यह भी पता चला कि बायोमास जलाने से 27% औसत प्रतिशत प्रदूषण का हिस्सा है. यह शोध आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टीईआरआई ने किया है. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम होने के बावजूद, दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में बायोमास जलाने का योगदान उच्च देखने को मिला है, और दिल्ली की हवा इसके चलते भी काफी ज्यादा खराब होती है.
आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर के दौरान वाहन और सेकेंडरी एरोसोल प्रदूषण फैलाने में सबसे बड़े कारण रहे. सितंबर में वाहनों का औसत प्रतिशत योगदान लगभग 35.66% था, जबकि द्वितीयक एयरोसोल का योगदान 36% था. नवंबर में बायोमास जलाना इन स्रोतों के अतिरिक्त के रूप में उभरा.
शोध में क्या सामने आया?
अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि मिट्टी और सड़क की धूल ने सितंबर के पहले सप्ताह में पीएम2.5 के स्तर में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि 1 से 4 सितंबर तक यह योगदान 30% से अधिक था. हालांकि, नवंबर में यह योगदान कम हो गया है, जबकि 13 नवंबर को यह लगभग 15% था, राउज़ एवेन्यू सुपरसाइट पर मिट्टी और सड़क की धूल का योगदान 19, 20, 23, 24 और 25 नवंबर को 0% और 21 और 22 नवंबर को 1% था.
First Updated : Monday, 27 November 2023