आज भारत के संविधान लिखने वाले डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि है. इस मौके पर पीएम ने बुधवार को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि पूज्य बाबासाहेब ने अपना जीवन शोषितों और वंचितों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया.
वे संविधान निर्माता होने के साथ-साथ सामाजिक समरसता के अमर प्रणेता थे. मोदी ने अंबेडकर के बारे में आगे कहा, 'जो एक दलित परिवार से आते थे और वंचितों के हितों के लिए अपने समर्थन के साथ भारतीय राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक बन गए.'
6 दिसंबर 1956 को बाबासाहेब की मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद से, नेताओं, विशेष रूप से दलित पृष्ठभूमि के लोगों ने, अनुसूचित जाति, एक प्रभावशाली मतदान समूह और अन्य कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा, संवैधानिक आंदोलन और एकीकरण के लिए अंबेडकर के प्रयासों केइर्द-गिर्द एकजुट किया है.
बाबा साहब एक महान अर्थशास्त्री, न्यायविद्, राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे. उन्होंने जीवन भर दलित जाति के कल्याण और स्वतंत्रता के लिए काम किया. उन्होंने समाज में भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया.
दलित पृष्ठभूमि से आने वाले अंबेडकर वंचितों के अधिकारों की वकालत करके इंडियन पॉलिटिक्स में एक प्रमुख स्थान तक पहुंचे. 1956 में उनकी मृत्यु के बाद से उनके विचारों की सराहना का विस्तार हुआ है.
First Updated : Wednesday, 06 December 2023