ULFA, Centre, Assam Peace Accord: शुक्रवार को भारत सरकार, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) असम के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर राष्ट्रीय राजधानी में हस्ताक्षर हुआ. उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र और असम सरकार के साथ शांति के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. यह पूरे पूर्वोत्तर विशेष रूप से असम के लिए शांति की अवधि की एक नई शुरुआत है.
गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा, ''मेरे लिए बहुत हर्ष का विषय है कि आज असम के भविष्य के लिए एक सुनहरा दिन है. लंबे समय से असम ने हिंसा को झेला है, पूरे पूर्वोत्तर ने हिंसा को झेला है, 2014 से प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली और पूर्वोत्तर की दूरी कम करने के प्रयास हुए. मन खोलकर, खुले हृदय से सभी के साथ बातचीत की शुरुआत हुई और उनके (पीएम मोदी) मार्गदर्शन में ही उग्रवाद मुक्त, हिंसा मुक्त और विवाद मुक्त नॉर्थ-ईस्ट की परिकल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा.''
उन्होंने कहा, ''बीते पांच सालो में 9 शांति और सीमा संबंधित समझौते अलग-अलग राज्यों के पूरे नॉर्थ-ईस्ट में हुए हैं. इसके कारण नॉर्थ-ईस्ट के एक बड़े हिस्से में शांति की स्थापना हुई है.''
गह मंत्री ने कहा, ''रिकॉर्ड पर 9 हजार से ज्यादा कैडर ने सरेंडर किया है और 85 फीसदी असम में से अफस्पा (AFSPA) को हटाया जा रहा है और आज केंद्र सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के बीच में जो ट्राई पार्टी समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी ग्रुप की बात को यहीं पर समाप्त करने में हमें सफलता मिली है.''
गृह मंत्री शाह ने कहा, ''पूरे नॉर्थ-ईस्ट और खासकर असम के लिए एक शांति के नए युग की शुरुआत होने जा रही है. मैं उल्फा प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपने जो भरोसा केद्र सरकार पर रखा है, भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से आपकी मांग के बगैर ही इन सारी चीजों को पूरी करने के लिए एक टाइम बाउंड मैनर में प्रोग्राम भी बनाया जाएगा और हम गृह मंत्रालय के अंतर्गत एक कमेटी भी बनाएंगे जो असम सरकार के साथ रहकर पूरे समझौते को पूरा करने का प्रयास करेगी.
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है..."
उल्फा के वार्ता समर्थक प्रतिनिधिमंडल के 29 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें 16 उल्फा सदस्य और नागरिक समाज के 13 सदस्य शामिल थे. बता दें कि असम में विद्रोह के कारण नागरिकों, सशस्त्र बलों के कर्मियों, राज्य पुलिस कर्मियों और निश्चित रूप से सदस्यों की जान चली गई. First Updated : Friday, 29 December 2023