अमेरिकी द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद एक्शन में पीएमओ, बुलाई हाईलेवल मीटिंग, क्या भारत देगा ट्रंप को जवाब?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयात पर 27% टैरिफ लगाने का ऐलान किया जिससे भारत सरकार में हलचल मच गई है. इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें इस टैरिफ के असर का आकलन किया जा रहा है. इस कदम को लेकर कांग्रेस और अन्य नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. क्या यह कदम भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा करेगा? जानिए इस पूरी कहानी में कैसे यह टैरिफ भारत के लिए नए चैलेंज और मौके लेकर आ सकता है.

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Edited By: Aprajita

Trump’s 27% Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत से आयात पर 27 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क लगाने के ऐलान के बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस टैरिफ का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. यह बैठक गुरुवार को पीएमओ द्वारा आयोजित की गई जिसमें वाणिज्य मंत्रालय, नीति आयोग, डीपीआईआईटी और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर चर्चा की.

ट्रम्प ने 27% टैरिफ की घोषणा की, भारत पर असर क्या होगा?

अमेरिका द्वारा भारत पर 27 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का यह कदम कई सवाल उठाता है. ट्रम्प ने कहा कि भारत हमसे 52 प्रतिशत कर वसूलता है, जबकि अमेरिका ने भारतीय आयात पर बहुत कम शुल्क लगाया है. ट्रम्प के इस कदम के बाद, भारत सरकार इसे गंभीरता से ले रही है और इसके प्रभावों का आकलन कर रही है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, "हम इसके निहितार्थों का विश्लेषण करेंगे, ट्रम्प के लिए सबसे पहले अमेरिका है और मोदी जी के लिए सबसे पहले भारत है."

शेयर बाजार पर असर और भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति

इस टैरिफ के प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में मामूली गिरावट देखी गई, जो अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में कम थी. वहीं, डॉलर के मुकाबले रुपया भी थोड़ा गिरकर 85.75 तक पहुंच गया, लेकिन फिर 85.65 पर आ गया. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भी इस टैरिफ के प्रभाव को लेकर कहा कि भारत को अपेक्षाकृत कम टैरिफ के कारण कुछ प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है.

ट्रम्प प्रशासन का तर्क और गैर-टैरिफ बाधाएं

व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि भारत ने "अनोखी बोझिल" गैर-टैरिफ बाधाएं लगाई हैं, जिनका हटना अमेरिका के लिए फायदेमंद होगा. इस बयान में यह भी कहा गया कि इन गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने से अमेरिकी निर्यात में कम से कम 5.3 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष की वृद्धि हो सकती है. इस टैरिफ का उद्देश्य व्यापार घाटे और अंतर्निहित गैर-पारस्परिक व्यवहार से उत्पन्न खतरे को कम करना है.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटा

अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 46 अरब डॉलर है, जिसे लेकर ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि यह शुल्क भारतीय व्यापार नीति के सुधार के लिए आवश्यक है. अब सवाल यह है कि भारत सरकार इस कदम का क्या जवाब देती है, और क्या यह मामला आगे किसी बड़े व्यापारिक विवाद का रूप ले सकता है.

आगे क्या होगा?

अब देखना यह होगा कि भारत इस टैरिफ का कैसे सामना करता है और इसके प्रभाव को देखते हुए क्या कदम उठाता है. क्या सरकार अमेरिका के खिलाफ प्रतिवाद करेगी या फिर इस मुद्दे को बातचीत से हल करने की कोशिश करेगी? आने वाले दिनों में इस विवाद के और बढ़ने की संभावना है.

प्रधानमंत्री कार्यालय की उच्च स्तरीय बैठक यह दर्शाती है कि भारत सरकार इस टैरिफ के नतीजों को लेकर गंभीर है और इसे लेकर एक रणनीति तैयार कर रही है. ट्रम्प के टैरिफ फैसले ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर एक नई जटिलता पैदा कर दी है, जिसका असर न केवल व्यापारिक मोर्चे पर बल्कि दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों पर भी पड़ेगा.

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03 April 2025, 02:41 PM IST

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