Madras High Court : सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता का 'टू फिंगर टेस्ट' करने पर रोक लगा दी थी. अब इस पर मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ी चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा कि टू फिंगर टेस्ट करने वाले डॉक्टर को भी गलत काम करने के दोषी होंगे. दरअसल के केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस तरह की जांच पर कड़ी आपत्ति जताई है. देश में अक्टूबर, 2022 में ही रेप पीड़िता का ये टेस्ट करने पर रोक लगा दी गई थी. सुनावई के दौरान कोर्ट के कहा कि हमें दुख है कि इस मामले में टू फिंगर टेस्ट किया गया है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने और इस कोर्ट ने भी कई रेप केस में बार-बार टूर फिंगर टेस्ट को स्वीकार नहीं करने की बात कही है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान डॉक्टरों को भी कड़े शब्दों में चेतावनी दी है. पीठ ने आगे कहा कि उस मौके पर हम डॉक्टर को याद दिलाना चाहते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के खिलाफ इस तरह का टेस्ट State Of Jharkhand Vs. Shailender Kumar @ Pandav Rai, Reported In (2022) 14 SCC 289 मामले में करते हैं तो उन्हें भी गलत काम करने का दोषी माना जाएगा.
क्या है टू फिंगर टेस्ट
देश में टू फिंगर टेस्ट पर प्रतिबंध लगा हुआ है. यह टेस्ट रेप पीड़िता के साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स हुआ है या नहीं इसका पता लगाने के लिए किया जाता है. मद्रास हाईकोर्ट ने साल 2022 में कहा था कि इस तरह की जांच रेप पीड़िताओं की निजता, शारीरिक व मानसिक अखंडता व गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करती है. टू फिंगर टेस्ट के दौरान महिलाओं को दोबारा बुरे दौर से गुजना पड़ता था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने का फैसला किया. First Updated : Friday, 24 November 2023