अरबपतियों के लिस्ट में तीसरे स्थान पर पहुंचा भारत, हर तीन महीने में एक नया अरबपति: रिपोर्ट

Billionaire: UBS की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर तीन महीने में एक नया अरबपति बन रहा है और अब कुल संख्या 185 तक पहुंच गई है. यह अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. पिछले 12 महीनों में 32 नए अरबपति जुड़े हैं और उनकी कुल संपत्ति 75.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.

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Billionaire Ambitions Report: एक समय था जब दूसरे देशों के लोग भारत को गरीब समझते थे लेकिन आज स्थिति अलग है. बता दें कि भारत तेजी से आर्थिक ऊंचाइयों की ओर बढ़ा है और अरबपतियों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है. अमेरिका और चीन के बाद भारत में सबसे अधिक 185 अरबपति हैं. UBS की Billionaire Ambitions Report के अनुसार, भारत के अरबपतियों की संपत्ति में पिछले एक साल में 42.1% का उछाल दर्ज किया गया है. अब इस रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है.

आर्थिक चुनौतियों के बीच अरबपतियों की बढ़ती संख्या

आपको बता दें कि एक तरफ जहां देश में रोजगार की चुनौतियां और महंगाई की मार बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ अरबपतियों की बढ़ती संख्या और संपत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और संभावनाओं को रेखांकित करती है. रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर तीन महीने में एक नया अरबपति उभर रहा है. बीते एक साल में देश ने 32 नए अरबपति जोड़े हैं.

क्या कहती है रिपोर्ट?

वहीं आपको बताते चले कि Billionaire Ambitions Report के अनुसार, भारत में आर्थिक प्रगति के साथ-साथ पारंपरिक व्यवसाय और नए क्षेत्रों में नवाचार ने अरबपतियों की इस तेजी को संभव बनाया है. देश में 108 पब्लिकली लिस्टेड पारिवारिक व्यवसाय हैं, जो आर्थिक विकास का मजबूत आधार बनाते हैं.

भारत का 'अगला दशक' अरबपतियों का

रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाला दशक भारत में अरबपतियों का होगा. डिजिटलीकरण, शहरीकरण, मैन्युफैक्चरिंग और एनर्जी सेक्टर के विस्तार से देश की आर्थिक रफ्तार और बढ़ने की उम्मीद है. इसको लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दशक में भारत अरबपतियों की संख्या के मामले में चीन को टक्कर दे सकता है.

विकास और समृद्धि के नए आयाम

बताते चले कि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अरबपतियों की बढ़ती संपत्ति से देश में रोजगार सृजन और विकास को नई ऊंचाई मिलेगी. रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रगति केवल धन के संचय तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारत के समग्र आर्थिक ढांचे को सशक्त बनाने में सहायक होगी.

आगे की चुनौतियां और अवसर

हालांकि, देश में रोजगार संकट और कमजोर रुपये के बीच यह उपलब्धि विरोधाभासी लग सकती है, लेकिन विशेषज्ञ इसे दीर्घकालिक विकास का संकेत मानते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि नए क्षेत्रों में नवाचार और उद्यमिता भारत के आर्थिक परिदृश्य को तेजी से बदल रहे हैं. बता दें कि यह रिपोर्ट भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने और समृद्धि के नए अध्याय खोलने की संभावनाओं की ओर इशारा करती है. First Updated : Sunday, 08 December 2024