ULFA : उल्फा-असम और केंद्र सरकार के बीच आज होगा शांति समझौता, उग्रवाद पर लगेगी रोक!
United Liberation Front of Assam : शुक्रवार को उल्फा, केंद्र सरकार और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौैता हो सकता है. इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
Assam News : आज केंद्र सरकार, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (ULFA) और राज्य सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हो सकता है. इस का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्य में दीर्घकालिक शांति को बनाए रखना है. शुक्रवार 29 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के कई शीर्ष नेता इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उपस्थित रहेंगे. जानकारी के अनुसार अरबिंद राजखोवा वार्ता समर्थक गुट का नेतृत्व करते हैं. इस दौरान लंबे समय से चल रहे असम से जुड़े राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यार रखा जाएगा.
कई मु्द्दों पर होगी चर्चा
आज त्रिपक्षीय शांति समझौते के दौरान उल्फा, केंद्र सरकार और असम सरकार के बीच कई मुद्दों पर बातचीत होगी. यह समझौता मूल निवासियों को सांस्कृतिक सुरक्षा और भूमि अधिकार प्रदान करेगा. वहीं परेश बरुआ का उल्फा का कट्टरपंथी गुट इस समझौते का हिस्सा नहीं होगा. क्योंकि वह भारत सरकार के प्रस्तावों को लगातार अस्वीकार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार राजखोवा ग्रुप के दो शीर्ष नेता अनूप चेतिया और शशधर चौधरी पिछले सप्ताह दिल्ली में थे. उन्होंने शांति समझौते के अंतिम रूप देने के लिए सरकारी वार्ताकारों के साथ बातचीत की.
कब हुआ था उल्फा का गठन
उल्फा का गठन साल 1979 में संप्रभु असम की मांग के साथ हुआ था. तभी से यह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने वर्ष 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था. उल्फा ने कई बार भारत सरकार से बात करनी चाहिए लेकिन उल्फा में आपस में टकराव ही इसकी बाधा बना. इसके बाद साल 2010 में उल्फा दो भागों में बंट गया. एक गुट का नेतृत्व अरबिंद राजखोवा ने किया, जो सरकार के साथ बातचीत के पक्ष में थे. वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व बरुआ ने किया था, जो सरकार की बात को अस्वीकार करते हैं.