Uniform Civil Code : जानिए किसे कहते हैं UCC, दुनिया के कितने देशों में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड

Uniform Civil Code : उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहित बिल पेश हो चुका है. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा.

Shweta Bharti
Edited By: Shweta Bharti

हाइलाइट

  • इन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड.
  • पहली बार कब हुआ यूसीसी का जिक्र?

Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा सदन में पेश कर दिया है. इस बिल को लेकर सदन में काफी हंगामा भी हुआ है. यदि यह बिल पास हुआ तो उत्तराखंड देश में यूसीस लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य बन जाएगा. इसी बीच आइए जानते हैं कि यूसीसी होता क्या है, इससे क्या बदलेगा और भारत के अलावा किन देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है.

इसके अलावा केंद्र भी इस पर काम कर रहा है. देश के 22वें विधि आयोग ने पिछले साल 14 जून को यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के विभिन्न पक्षों से 30 दिन के भीतर अपनी राय देने को कहा था, लेकिन इस मुद्दे पर फिर से चर्चा शुरू होने वाली है. क्योंकि बीजेपी शासित कई राज्यों में इसे लागू किया जा सकता है.

क्या है सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून होना चाहिए, यदि किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तालाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक सा कानून होगा, संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है.

इन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किसी भी देश में समान नागरिक संहिता को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकता है. जो उनके नागरिकों के सभी व्यक्तिगत मामलों को कवर करता है, जैसे- फ्रांस, अमेरिका तुर्की जैसे कुछ देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड पूरी तरह से सभी नागारिकों पर लागू होता है. चाहे उनका धर्म या विश्वास कुछ भी हो, भारत के अलावा भी ऐसे कई अन्य देश हैं जहां नागरिकों के हित में सिविल कोर्ड या इसके जैसे कानून बने हुए हैं.

पहली बार कब हुआ यूसीसी का जिक्र?

समान नागरिक कानून का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकापर की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया है कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत थी, हालांकि 1941 में हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए बीएन राव समिति का गठन किया गया. राव समिति की सिफारिश पर 1956 में हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाने के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनितम विधेयक को अपनाया गया है. साथ ही मुस्लिम, ईसाई और पारसियों लोगों के लिए अलग कानून रखे गए थे.

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07 February 2024, 09:03 AM IST

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