UP By-elections: कुंदरकी सीट पर सपा को झटका, जानें आखिर कैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में BJP के रामवीर सिंह ने रचा इतिहास
UP By-elections: उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के ठाकुर रामवीर सिंह ने सपा के हाजी मोहम्मद रिजवान को भारी मतों के अंतर से हराया. इस मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में बीजेपी की यह जीत कई राजनीतिक समीकरणों को तोड़ने वाली मानी जा रही है.
UP By-elections: उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सपा को बड़ा झटका दिया. बीजेपी के ठाकुर रामवीर सिंह ने सपा के हाजी मोहम्मद रिजवान को भारी मतों के अंतर से हराया.
सपा ने चुनाव परिणामों पर ऐतराज जताते हुए धांधली के आरोप लगाए हैं. हालांकि, इस जीत के पीछे बीजेपी की रणनीति और मुसलमान वोटों में हुए विभाजन को मुख्य वजह माना जा रहा है.
मुस्लिम वोटों का विभाजन बना जीत की वजह
कुंदरकी सीट पर 65% मुसलमान मतदाता हैं. लेकिन इस बार हिंदू और मुसलमान के ध्रुवीकरण के बजाय मुसलमानों के भीतर तुर्क और शेख बिरादरी का ध्रुवीकरण बीजेपी की जीत का आधार बना. तुर्क बिरादरी के नेता और सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान को उनकी बिरादरी से ही अपेक्षित समर्थन नहीं मिला, जबकि शेख बिरादरी ने बीजेपी के रामवीर सिंह को जमकर समर्थन दिया.
लंबे समय से मुस्लिम समुदाय में काम कर रहे थे रामवीर सिंह
रामवीर सिंह पिछले दो दशकों से मुस्लिम समुदाय के बीच सक्रिय थे. बिना विधायक बने उन्होंने क्षेत्र के मुसलमानों के लिए कई विकास कार्य कराए. उनके द्वारा लगाए जाने वाले दरबार और मुसलमानों के समारोहों में उनकी नियमित उपस्थिति ने उनकी छवि को मुस्लिम समर्थक नेता के रूप में मजबूत किया. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 1 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की.
सपा के हाजी रिजवान को एंटी-इनकंबेंसी का नुकसान
हाजी रिजवान तीन बार से कुंदरकी के विधायक रहे, लेकिन क्षेत्र की जनता को उनके कामों से संतुष्टि नहीं मिली. चुनाव के दिन उन्होंने मतदान प्रक्रिया रद्द करने की मांग की, जिससे मुस्लिम मतदाता नाराज हो गए. दोपहर बाद एकतरफा मतदान बीजेपी के पक्ष में हुआ, जो उनकी हार की बड़ी वजह बना.
सपा के लिए बड़ा उलटफेर
1993 के बाद से बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई थी. लेकिन इस बार 57.7% मतदान और 60% से ज्यादा मुस्लिम वोटरों वाली सीट पर बीजेपी की जीत सपा के लिए चौंकाने वाली है. सपा के लिए यह हार मुस्लिम मतदाताओं में बढ़ते असंतोष का संकेत भी हो सकती है.