जयंती विशेष : जब प्रधानमंत्री से यूपी पुलिस ने ली 35 रुपये की घूस, फिर पूरा थाना हो गया सस्पेंड
चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर लंबा और उतार- चढ़ाव भरा है. लेकिन आज हम उनके राजनीतिक सफर के बारे में नहीं बल्कि एक ऐसी घटना के बारे में बात करने वाले हैं, जिसमें देश के प्रधानमंत्री से उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 35 रुपये की घूस ले ली थी.
Former PM Chaudhary Charan Singh : देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश में किसानों के मसीहा के रूप में जाना जाता है. 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ जिले में जन्मे चौधरी चरण सिंह 1979 में कांग्रेस समर्थन से पीएम बने. लेकिन वो 23 दिन ही प्रधानमंत्री के पद पर रह पाए. चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर लंबा और उतार- चढ़ाव भरा है. लेकिन आज हम उनके राजनीतिक सफर के बारे में नहीं बल्कि एक ऐसी घटना के बारे में बात करने वाले हैं, जिसमें देश के प्रधानमंत्री से उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 35 रुपये की घूस ले ली थी. इसके बाद पूरे थाने को सस्पेंड कर दिया गया था.
शाम 6 बजे जब थानें में पहुंच गए पीएम
साल 1979 की बात है जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह शाम को कराब 6 बजे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ऊसराहार थाने में पहुंच गए. धीमी चाल और फटेहाल कपड़ों में उन्होंने खुद को एक 75 वर्षीय किसान बताया. उन्होंने पुलिसकर्मियों से पूछा - दरोगा साहब हैं. जवाब मिला नहीं हैं. साथ ही एएसआई और अन्य पुलिसकर्मी पूछते हैं कि आप कौन हैं? किस काम के लिए यहां आएं हैं?
चौधरी साहब ने पुलिस वालों से कहा कि रपट लिखानी है साहब. जवाब में पुलिस वाले ने पूछा- क्या हुआ? उन्होंने कहा साबह मेरी किसी ने जेब काट ली है. जेब में काफी पैसे थे. इस पर थाने में तैनात एएसआई ने कहा कि ऐसे थोड़े रपट लिखी जाती है. चौधरी साहब ने पुलिस वालों बताया कि मैं मेरठ जिले का रहने वाला किसान हूं. खेती-किसानी करता हूं. यहां पर सस्ते में बैल खरीदने के लिए पैदल ही आया हूं. पता चला था यहां पर बैल सस्ते में मिलता है. जब यहां आया तो जेब फटी मिली. जेब में कई सौ रुपए थे. पॉकेटमार वो रुपए लेकर भाग गया. उस समय कई सौ रुपए का मतलब बहुत पैसे होते थे.
जेबकतरों ने जेब काट लिया क्यों मान लूं ?
जवाब में पुलिस वालों ने कहा कि तुम मेरठ से यहां आए हो. क्या पता तुम्हारे पैसे गिर गए या फिर जेबकतरों ने मार लिया. यह कैसे कहा जा सकता है. थाने में पुलिसकर्मी ने कहा, हम ऐसे रपट नहीं लिखते. इस पर उन्होंने कहा कि मैं, घर वालों को क्या जवाब दूंगा. मुश्किल से पैसे लेकर यहां आया था. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उसे थाने से जाने के लिए कह दिया. किसान कुछ देर तक इंतजार करने के बाद फिर थाने में रपट लिखाने की गुहार पुलिसकर्मियों से लगाने लगा. लेकिन सिपाही ने इसको अनसुना कर दिया. इस पर पीएम चौधरी चरण सिंह एक आम किसान की तरह निराश हो गए.
रपट लिखवा देंगे, लेकिन खर्चा पानी लगेगा
एक पुलिसकर्मी ने कहा कि रपट तो लिखवा देंगे लेकिन इसके लिए कुछ खर्चा-पानी देना होगा. इतने में, थानेदार साहब भी वहां आ गए. किसान की विनती पर वो भी रपट लिखने को तैयार नहीं हुए. किसान यानी तत्कालीन पीएम परेशान होकर घर लौटने के इरादे से थाने के गेट तक बाहर आ गए और वहीं पर खड़े हो गए. थोड़ी देर बाद एक सिपाही को उन पर रहम आया. उसने पास आकर कहा, 'रपट लिखवा देंगे, खर्चा पानी लगेगा'. इस पर चौधरी साहब ने पूछा- 'कितना लगेगा. बात सौ रुपए से शुरू हुई और 35 रुपए देने की बात पर रपट लिखने के लिए थाने वाले मान गए'.
आखिर 35 रुपये लेकर लिखी गई रपट
आखिरकार पैसे देने के बाद रपट लिख ली गई. रपट लिख कर मुंशी ने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से पूछा, ‘बाबा हस्ताक्षर करोगे कि अंगूठा लगाओगे. थानेदार के टेबल पर स्टैंप पैड और पेन दोनों रखा था. उन्होंने कहा- हस्ताक्षर करूंगा. यह कहने के बाद उन्होंने पैन उठा लिया और साइन कर दिया. साथ ही टेबल पर रखे स्टैंप पैड को भी खींच लिया. इसके बाद थाने का मुंशी सोच में पड़ गया. हस्ताक्षर करेगा तो अंगूठा लगाने की स्याही का पैड क्यों उठा रहा है? किसान बने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अपने हस्ताक्षर में नाम लिखा, ‘चौधरी चरण सिंह’ और मैले कुर्ते की जेब से मुहर निकाल कर कागज पर ठोंक दी, जिस पर लिखा था ‘प्रधानमंत्री, भारत सरकार.’ ये देखकर पूरे थाने में हड़कंप मच गया. आवेदन कॉपी पर पीएम की मुहर लगा देख पूरा का पूरा थाना सन्न रह गया.
पूरे थाने को सस्पेंड कर वहां से निकल गए PM
इस घटना के थोड़ी देर बाद पीएम का काफिला वहां पहुंच गया. जिले और कमिश्नरी के सभी आला अधिकारी धड़ाधड़ वहां पहुंच गए. थाने के पुलिसकर्मियों सहित डीएम एसएसपी, एसपी, डीएसपी, अन्य पुलिसकर्मी, आईजी, डीआईजी सबके होठ सूख गए. सभी यह सोचने लगे, अब क्या होगा? पूरे प्रशासिक अमले में किसी को पता नहीं था कि पीएम चौधरी चरण सिंह खुद इस तरह थाने आकर औचक निरीक्षण करेंगे. पूरे प्रशासनिक अमले को परेशान देख पीएम ऊसराहार थाने के सभी कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश देते हुए रवाना हो गए.
कौन थे चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ जिले के बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव में हुआ था. 1929 में वह आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और 1940 में सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल भी गए. 1952 में चौधरी साहब कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री बने और किसान हित में जमींदारी उन्मूलन विधेयक पारित किया. 3 अप्रैल 1967 को चौधरी साहब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. चुनाव जीतने के बाद 17 फरवरी 1970 को वो यूपी के दोबारा सीएम बने. उसके बाद वो केंद्र सरकार में गृहमंत्री बने. उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की.