Video; भ्रष्टाचार का विरोध किया तो यूपी में स्टूडेंट्स पर बरसाए गए पुलिस के डंडे
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर छात्रों का विरोध प्रदर्शन किया. जो पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ 2023 परीक्षा को दो दिन में आयोजित करने के खिलाफ हैं। छात्रों ने एक ही दिन में परीक्षा कराने की मांग की है, ताकि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से किसी को नुकसान न हो।
UPPSC Candidates Protest: यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन जारी किया. जो पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ 2023 प्री परीक्षा को दो दिन में कराने के खिलाफ है. प्रदर्शनकारियों ने फैसले को नकारते हुए परीक्षा एक ही दिन में कराने की मांग की है. आयोग के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके. इस दौरान पुलिस ने स्टूडेंट्स पर डंडे भी बरसाए.
नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ विरोध
अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि परीक्षा दो शिफ्टों में होती है, तो नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू की जाएगी, जिसके कारण अच्छे छात्रों को नुकसान हो सकता है. उनका मानना है कि एक शिफ्ट में पेपर सरल होगा और दूसरी शिफ्ट में कठिन प्रश्न पूछे जाएंगे, जिससे नॉर्मलाइजेशन के तहत छात्रों के अंक प्रभावित होंगे. इस प्रक्रिया को लेकर छात्रों का आरोप है कि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है, और योग्य उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है. इसलिए वे परीक्षा को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित करने की मांग कर रहे हैं.
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— Arvind Chotia (@arvindchotia) November 11, 2024
परीक्षाओं का लंबित होना और पेपर लीक
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पिछले दो वर्षों से परीक्षाएं समय पर आयोजित नहीं कर पा रहा है. जनवरी 2024 में आयोग ने यूपी सिविल सर्विसेज का नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन मार्च में परीक्षा आयोजित नहीं हो सकी. इसे अक्टूबर में पुनर्निर्धारित किया गया।
यह अत्यंत दुःखद है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठियां भांजी हैं। यह लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। छात्रों का प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे दबाया नहीं जा सकता#UPPSC_No_Normalization
— Sudha Yadav (@Sudha6644) November 11, 2024
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इसी प्रकार, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 11 फरवरी को आयोजित की जानी थी, लेकिन पेपर लीक के कारण इसे रद्द कर दिया गया. इन दोनों परीक्षाओं को अक्टूबर में आयोजित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अचानक दिसंबर में इनकी तिथियां बढ़ा दी गईं, जिससे छात्रों में असंतोष फैल गया.
आयोग का तर्क
आयोग का कहना है कि उनके पास इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों के लिए केंद्र उपलब्ध नहीं हैं कि वे एक ही दिन में परीक्षा आयोजित कर सकें. उनका यह भी कहना है कि पहले भी आयोग ने इस तरह के बड़े पैमाने पर परीक्षाएं आयोजित की हैं, लेकिन इस बार केंद्रों की कमी के कारण परीक्षा दो शिफ्टों में आयोजित करनी पड़ रही है।
छात्रों का आक्रोश
छात्रों ने आयोग के इस तर्क को नकारते हुए कहा कि पहले आयोग ने बिना किसी परेशानी के कई बार बड़ी संख्या में छात्रों का पेपर कराया है. ऐसे में आयोग को परीक्षा के आयोजन में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. उनका मुख्य उद्देश्य एक दिन में परीक्षा आयोजित करने का है, ताकि नॉर्मलाइजेशन के कारण किसी छात्र का नुकसान न हो.