Jammu and Kashmir Assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को उस प्रस्ताव पर जमकर हंगामा हुआ, जिसमें राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की मांग की गई थी. यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे को फिर से बहाल करने और केंद्र सरकार के साथ इस मामले पर चर्चा शुरू करने की अपील कर रहा था. इस प्रस्ताव पर जैसे ही मतदान हुआ, विधानसभा में भारी हंगामा शुरू हो गया. भाजपा सदस्यों ने इसे लेकर जोरदार विरोध जताया और इसके बाद 'जय श्री राम' के नारे गूंजने लगे.
भाजपा ने विरोध करते हुए नारे लगाए
प्रस्ताव पास होते ही भाजपा के सदस्य अपनी सीटों से उठकर विधानसभा के आसन तक पहुंचे. उन्होंने प्रस्ताव की प्रतियां फाड़ते हुए अध्यक्ष और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. भाजपा सदस्यों का कहना था कि प्रस्ताव सिर्फ एक विशेष दल के फायदे के लिए लाया गया था और इसमें चुनावी जनादेश की अनदेखी की गई. इसके अलावा, भाजपा के नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने अध्यक्ष पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि प्रस्ताव तैयार करने में अध्यक्ष ने एनसी के नेताओं के साथ मिलकर काम किया है.
'जय श्री राम' के नारे और हंगामे के बीच प्रस्ताव पास हुआ
विधानसभा में भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच तकरार के बीच विपक्षी सदस्यों ने भी विरोध प्रदर्शन किया. 'जय श्री राम', 'वंदे मातरम', '5 अगस्त जिंदाबाद' जैसे नारे गूंजते रहे. साथ ही भाजपा के नेताओं ने यह भी कहा कि प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा के बजाय, पाकिस्तान और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ एजेंडे को बढ़ावा दिया जा रहा है. हंगामे के बावजूद, प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. विधानसभा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू करे और विशेष दर्जे की बहाली के लिए संवैधानिक तंत्र तैयार करे.
प्रस्ताव में क्या था?
प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की वापसी की बात की गई, जिसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को हटा दिया था. इस प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करने वाले इन विशेष प्रावधानों को एकतरफा तरीके से हटा दिया गया है, जो राज्य के लोगों में चिंता का कारण बन गया है. प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि किसी भी बहाली प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और राष्ट्रीय एकता की रक्षा की जानी चाहिए.
भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच टकराव
इस प्रस्ताव पर भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच तीखी नोकझोंक हुई. भाजपा ने आरोप लगाया कि एनसी ने राज्य की जनता की भावनाओं के खिलाफ जाकर इस प्रस्ताव को लाया है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस प्रस्ताव को जम्मू-कश्मीर की पहचान और सम्मान की रक्षा करने वाला कदम बताया. भाजपा नेताओं का यह भी कहना था कि वे जनादेश के खिलाफ नहीं जाएंगे, क्योंकि उनके अनुसार, अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में जम्मू और कश्मीर के लोगों का वोट था.
इस हंगामे ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच यह टकराव सिर्फ राज्य के विशेष दर्जे को लेकर नहीं, बल्कि भविष्य में राज्य की राजनीतिक दिशा को लेकर भी महत्वपूर्ण है. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर क्या कदम उठाती है और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आगे क्या बदलाव आता है. First Updated : Wednesday, 06 November 2024